Line 700: |
Line 700: |
| <div class="mw-collapsible mw-collapsed"> | | <div class="mw-collapsible mw-collapsed"> |
| | | |
− | सतित्तिरिःसमयूरःसराजहंसःपञ्चमूलीपयःसिद्धःशतपुष्पामधुकरास्नाकुटजमदनफलपिप्पलीकल्कोघृततैलगुडसैन्धवयुक्तोबस्तिर्बलवर्णशुक्रजननोरसायनश्च(१)|
| + | सतित्तिरिःसमयूरःसराजहंसःपञ्चमूलीपयःसिद्धःशतपुष्पामधुकरास्नाकुटजमदनफल |
| | | |
− | द्विपञ्चमूलीकुक्कुटरससिद्धंपयःपादशेषंपिप्पलीमधुकरास्नामदनकल्कंशर्करामधुघृतयुक्तंस्त्रीष्वतिकामानांबलजननोबस्तिः(२)|
| + | पिप्पलीकल्कोघृततैलगुडसैन्धवयुक्तोबस्तिर्बलवर्णशुक्रजननोरसायनश्च(१)| |
| | | |
− | मयूरमपित्तपक्षपादास्यान्त्रंस्थिरादिभिःपलिकैःसजलेपयसिपक्त्वाक्षीरशेषंमदनपिप्पलीविदारीशतकुसुमामधुककल्कीकृतंमधुघृतसैन्धवयुक्तंबस्तिंदद्यात्स्त्रीष्वतिप्रसक्तक्षीणेन्द्रियेभ्योबलवर्णकरम्(३)|
| + | द्विपञ्चमूलीकुक्कुटरससिद्धंपयःपादशेषंपिप्पलीमधुकरास्नामदनकल्कं |
| + | |
| + | शर्करामधुघृतयुक्तंस्त्रीष्वतिकामानांबलजननोबस्तिः(२)| |
| + | |
| + | मयूरमपित्तपक्षपादास्यान्त्रंस्थिरादिभिःपलिकैःसजलेपयसिपक्त्वाक्षीरशेषंमदनपिप्पली |
| + | |
| + | विदारीशतकुसुमामधुककल्कीकृतंमधुघृतसैन्धवयुक्तं |
| + | |
| + | बस्तिंदद्यात्स्त्रीष्वतिप्रसक्तक्षीणेन्द्रियेभ्योबलवर्णकरम्(३)| |
| | | |
| कल्पश्चैषविष्किरप्रतुदप्रसहाम्बुचरेषुस्यात्,अक्षीरोरोहितादिषुचमत्स्येषु(४)| | | कल्पश्चैषविष्किरप्रतुदप्रसहाम्बुचरेषुस्यात्,अक्षीरोरोहितादिषुचमत्स्येषु(४)| |
| | | |
− | गोधानकुलमार्जारमूषिकशल्लकमांसानांदशपलान्भागान्सपञ्चमूलान्पयसिपक्त्वातत्पयःपिप्पलीफलकल्कसैन्धवसौवर्चलशर्करामधुघृततैलयुक्तोबस्तिर्बल्योरसायनःक्षीणक्षतस्यसन्धानकरोमथितोरस्क
| + | गोधानकुलमार्जारमूषिकशल्लकमांसानांदशपलान्भागान्सपञ्चमूलान्पयसिपक्त्वातत्पयःपिप्पलीफलकल्क |
| + | |
| + | सैन्धवसौवर्चलशर्करामधुघृततैलयुक्तोबस्तिर्बल्योरसायनःक्षीणक्षतस्यसन्धानकरोमथितोरस्क |
| + | |
| रथगजहयभग्नवातबलासकप्रभृत्युदावर्तवातसक्तमूत्रवर्चश्शुकाणांहिततमश्च(५)| | | रथगजहयभग्नवातबलासकप्रभृत्युदावर्तवातसक्तमूत्रवर्चश्शुकाणांहिततमश्च(५)| |
| | | |
− | कूर्मादीनामन्यतमपिशितसिद्धंपयोगोवृषनागहयनक्रहंसकुक्कुटाण्डरसमधुघृतशर्करासैन्धवेक्षुरकात्मगुप्ताफलकल्कसंसृष्टोबस्तिर्वृद्धानामपिबलजननः(६)|
| + | कूर्मादीनामन्यतमपिशितसिद्धंपयोगोवृषनागहयनक्रहंसकुक्कुटाण्डरसमधुघृतशर्करा |
| + | |
| + | सैन्धवेक्षुरकात्मगुप्ताफलकल्कसंसृष्टोबस्तिर्वृद्धानामपिबलजननः(६)| |
| | | |
− | कर्कटकरसश्चटकाण्डरसयुक्तःसमधुघृतशर्करोबस्तिः;इत्येतेबस्तयःपरमवृष्याःउच्चटकेक्षुरकात्मगुप्ताशृतक्षीरप्रतिभोजनानुपानात्स्त्रीशतगामिनंनरंकुर्युः(७)| | + | कर्कटकरसश्चटकाण्डरसयुक्तःसमधुघृतशर्करोबस्तिः; |
| | | |
− | गोवृषबस्तवराहवृषणकर्कटचटकसिद्धंक्षीरमुच्चटकेक्षुरकात्मगुप्तामधुघृतसैन्धवयुक्तःकिञ्चिल्लवणितोबस्तिः(८)|
| + | इत्येतेबस्तयःपरमवृष्याःउच्चटकेक्षुरकात्मगुप्ताशृतक्षीरप्रतिभोजनानुपानात्स्त्रीशतगामिनंनरंकुर्युः(७)| |
| | | |
− | दशमूलमयूरहंसकुक्कुटक्वाथात्पञ्चप्रसृतंतैलघृतवसामज्जचतुष्प्रसृतयुक्तंशतपुष्पामुस्तहपुषाकल्कीकृतःसलवणोबस्तिःपादगुल्फोरुजानुजङ्घात्रिकवङ्क्षणबस्तिवृषणानिलरोगहरः(९)|
| + | गोवृषबस्तवराहवृषणकर्कटचटकसिद्धंक्षीरमुच्चटकेक्षुरकात्मगुप्ता |
| + | |
| + | मधुघृतसैन्धवयुक्तःकिञ्चिल्लवणितोबस्तिः(८)| |
| + | |
| + | दशमूलमयूरहंसकुक्कुटक्वाथात्पञ्चप्रसृतंतैलघृतवसामज्जचतुष्प्रसृतयुक्तंशतपुष्पा |
| + | |
| + | मुस्तहपुषाकल्कीकृतःसलवणोबस्तिःपादगुल्फोरुजानुजङ्घात्रिकवङ्क्षणबस्तिवृषणानिलरोगहरः(९)| |
| | | |
| मृगविष्किरानूपबिलेशयानामेतेनैवकल्पेनबस्तयोदेयाः(१०)| | | मृगविष्किरानूपबिलेशयानामेतेनैवकल्पेनबस्तयोदेयाः(१०)| |
Line 725: |
Line 744: |
| सद्योघृततैलवसामज्जचतुष्प्रस्थंहपुषार्धपलंसैन्धवार्धाक्षयुक्तोबस्तिर्वृष्यतमोमूत्रकृच्छ्रपित्तव्याधिहरोरसायनः(१२)| | | सद्योघृततैलवसामज्जचतुष्प्रस्थंहपुषार्धपलंसैन्धवार्धाक्षयुक्तोबस्तिर्वृष्यतमोमूत्रकृच्छ्रपित्तव्याधिहरोरसायनः(१२)| |
| | | |
− | मधुतैलंचतुःप्रसृतंशतपुष्पार्धपलंसैन्धवार्धाक्षयुक्तोबस्तिर्दीपनोबृंहणोबलवर्णकरोनिरुपद्रवोवृष्यतमोरसायनःक्रिमिकुष्ठोदावर्तगुल्मार्शोब्रध्नप्लीहमेहहरः(१३)|
| + | मधुतैलंचतुःप्रसृतंशतपुष्पार्धपलंसैन्धवार्धाक्षयुक्तोबस्तिर्दीपनो |
| + | |
| + | बृंहणोबलवर्णकरोनिरुपद्रवोवृष्यतमोरसायनःक्रिमिकुष्ठोदावर्तगुल्मार्शोब्रध्नप्लीहमेहहरः(१३)| |
| | | |
− | तद्वन्मधुघृताभ्यांपयस्तुल्योबस्तिःपूर्वकल्केनबलवर्णकरोवृष्यतमोनिरुपद्रवोबस्तिमेढ्रपाकपरिकर्तिकामूत्रकृच्छ्रपित्तव्याधिहरोरसायनश्च(१४)|
| + | तद्वन्मधुघृताभ्यांपयस्तुल्योबस्तिःपूर्वकल्केनबलवर्णकरोवृष्यतमो |
| + | |
| + | निरुपद्रवोबस्तिमेढ्रपाकपरिकर्तिकामूत्रकृच्छ्रपित्तव्याधिहरोरसायनश्च(१४)| |
| | | |
| तद्वन्मधुघृताभ्यांमांसरसतुल्यो[मुस्ताक्षयुक्तः | | तद्वन्मधुघृताभ्यांमांसरसतुल्यो[मुस्ताक्षयुक्तः |
Line 733: |
Line 756: |
| पूर्ववद्बस्तिर्वातबलासपादहर्षगुल्मत्रिकोरुजानूरुनिकुञ्चनबस्तिवृषणमेढ्रत्रिकपृष्ठशूलहरः(१५)| | | पूर्ववद्बस्तिर्वातबलासपादहर्षगुल्मत्रिकोरुजानूरुनिकुञ्चनबस्तिवृषणमेढ्रत्रिकपृष्ठशूलहरः(१५)| |
| | | |
− | सुरासौवीरककुलत्थमांसरसमधुघृततैलसप्तप्रसृतोमुस्तशताह्वाकल्कितःसलवणोबस्तिःसर्ववातरोगहरः(१६)|
| + | सुरासौवीरककुलत्थमांसरसमधुघृततैलसप्तप्रसृतोमुस्त |
| + | |
| + | शताह्वाकल्कितःसलवणोबस्तिःसर्ववातरोगहरः(१६)| |
| + | |
| + | द्विपञ्चमूलत्रिफलाबिल्वमदनफलकषायोगोमूत्रसिद्धःकुटजमदनफल |
| + | |
| + | मुस्तपाठाकल्कितःसैन्धवयावशूकक्षौद्रतैलयुक्तोबस्तिःश्लेष्मव्याधिबस्त्याटोपवातशुक्रसङ्ग |
| | | |
− | द्विपञ्चमूलत्रिफलाबिल्वमदनफलकषायोगोमूत्रसिद्धःकुटजमदनफलमुस्तपाठाकल्कितःसैन्धवयावशूकक्षौद्रतैलयुक्तोबस्तिःश्लेष्मव्याधिबस्त्याटोपवातशुक्रसङ्ग
| |
| पाण्डुरोगाजीर्णविसूचिकालसकेषु[५]देयइति||१८|| | | पाण्डुरोगाजीर्णविसूचिकालसकेषु[५]देयइति||१८|| |
| <div class="mw-collapsible-content"> | | <div class="mw-collapsible-content"> |