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− | == Smruti (Memory) ==
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| ==What is smruti?== | | ==What is smruti?== |
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| Smruti is enlisted among one of the eight superpowers of knowledge that are required for learning Ayurveda. (Cha.Su.1/39) | | Smruti is enlisted among one of the eight superpowers of knowledge that are required for learning Ayurveda. (Cha.Su.1/39) |
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− | ===Origin of Smruti in embryogenesis===
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− | ====Aatmaja bhava (factor related with one's soul)====
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− | यानि तु खल्वस्य गर्भस्यात्मजानि, यानि चास्यात्मतः सम्भवतः सम्भवन्ति, तान्यनुव्याख्यास्यामः तद्यथा- तासु तासु योनिषूत्पत्तिरायुरात्मज्ञानं मन इन्द्रियाणि प्राणापानौ प्रेरणं धारणमाकृतिस्वरवर्णविशेषाः सुखदुःखे इच्छाद्वेषौ चेतना धृतिर्बुद्धिः स्मृतिरहङ्कारः प्रयत्नश्चेति (आत्मजानि)||१०||
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− | During the process of embryogenesis, Smruti is categorized under the factors having origin from soul. It shows memory is unique in every individual and can differ from person to person. (Cha.Sha.3/10)
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− | ====Jatismara (one who remembers previous past life)====
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− | अस्ति खलु सत्त्वमौपपादुकं; यज्जीवं स्पृक्शरीरेणाभिसम्बध्नाति, यस्मिन्नपगमनपुरस्कृते शीलमस्य व्यावर्तते, भक्तिर्विपर्यस्यते, सर्वेन्द्रियाण्युपतप्यन्ते, बलं हीयते, व्याधय आप्याय्यन्ते, यस्माद्धीनः प्राणाञ्जहाति, यदिन्द्रियाणामभिग्राहकं च ‘मन’ इत्यभिधीयते; तत्त्रिविधमाख्यायते- शुद्धं, राजसं, तामसमिति|
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− | येनास्य खलु मनो भूयिष्ठं, तेन द्वितीयायामाजातौ सम्प्रयोगो भवति; यदा तु तेनैव शुद्धेन संयुज्यते, तदा जातेरतिक्रान्ताया अपि स्मरति|
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− | स्मार्तं हि ज्ञानमात्मनस्तस्यैव मनसोऽनुबन्धादनुवर्तते, यस्यानुवृत्तिं पुरस्कृत्य पुरुषो ‘जातिस्मर’ इत्युच्यते| ||१३||
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− | There is possibility of remembering past life. One who remembers past life is called 'Jatismara'. Purity of psyche is responsible for remembrance of past life as it is united with the soul. (Cha.Sha.3/13)
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− | ====Sattvaja bhava(factor related with one's psyche)====
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− | यानि खल्वस्य गर्भस्य सत्त्वजानि, यान्यस्य सत्त्वतः सम्भवतः सम्भवन्ति, तान्यनुव्याख्यास्यामः; तद्यथा- भक्तिः शीलं शौचं द्वेषः स्मृतिर्मोहस्त्यागो मात्सर्यं शौर्यं भयं क्रोधस्तन्द्रोत्साहस्तैक्ष्ण्यं मार्दवं गाम्भीर्यमनवस्थितत्वमित्येवमादयश्चान्ये, ते सत्त्वविकारा यानुत्तरकालं सत्त्वभेदमधिकृत्योपदेक्ष्यामः|
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− | नानाविधानि खलु सत्त्वानि, तानि सर्वाण्येकपुरुषे भवन्ति, न च भवन्त्येककालम्, एकं तु प्रायोवृत्त्याऽऽह [३] ||१३||
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− | Smruti is categorized under the factors having origin from the psyche. (Cha.Sha.3/13)
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| ===Definition of Smruti=== | | ===Definition of Smruti=== |
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| Good memory with scientific knowledge is quality of a life saving physician.(Cha.Su.29/7) | | Good memory with scientific knowledge is quality of a life saving physician.(Cha.Su.29/7) |
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− | ===A preventive measure of exogenous diseases===
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− | त्यागः प्रज्ञापराधानामिन्द्रियोपशमः स्मृतिः|
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− | देशकालात्मविज्ञानं सद्वृत्तस्यानुवर्तनम्||५३||
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− | आगन्तूनामनुत्पत्तावेष मार्गो निदर्शितः|
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− | प्राज्ञः प्रागेव तत् कुर्याद्धितं विद्याद्यदात्मनः||५४||
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− | आयुर्वेददीपिका व्याख्या (चक्रपाणिदत्त कृत): स्मृतिः पुत्रादीनां विनश्वरत्वस्वभावाद्यनुस्मरणं;यदुक्तम्- “स्मृत्वा स्वभावं भावानां स्मरन् दुःखाद्विमुच्यते” (शा.अ.१); एतच्च द्वयं मानसरोगप्रतिघातकम्|
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− | The person shall always remember the ultimate truth about death of dear ones like son, daughter etc., so as to prevent exogenous diseases arising due to grief or bereavement as it occurs. (Cha.Su.7/53/54)
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− | ===One of the observable measure for mental health===
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− | पापवृत्तवचःसत्त्वाः सूचकाः कलहप्रियाः|
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− | मर्मोपहासिनो लुब्धाः परवृद्धिद्विषः शठाः||५६||
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− | परापवादरतयश्चपला रिपुसेविनः|
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− | निर्घृणास्त्यक्तधर्माणः परिवर्ज्या नराधमाः||५७||
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− | बुद्धिविद्यावयःशीलधैर्यस्मृतिसमाधिभिः|
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− | वृद्धोपसेविनो वृद्धाः स्वभावज्ञा गतव्यथाः||५८||
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− | सुमुखाः सर्वभूतानां प्रशान्ताः शंसितव्रताः|
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− | सेव्याः सन्मार्गवक्तारः पुण्यश्रवणदर्शनाः||५९||
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− | One shall always follow and remember good experiential knowledge for preserving mental health. (Cha.Su.7/58)
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− | ===Treatment for Atattvabhinivesha===
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− | सुहृदश्चानुकूलास्तं स्वाप्ता धर्मार्थवादिनः|
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− | संयोजयेयुर्विज्ञानधैर्यस्मृतिसमाधिभिः ||६३||
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− | The patient suffering from Atattvabhinivsha shall be treated to induce his good memory and live with friends having good scientific and spiritual knowledge. (Cha.Chi.10/63)
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− | ===One of the measure for health in this life and after life===
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− | तत्रेन्द्रियाणां समनस्कानामनुपतप्तानामनुपतापाय प्रकृतिभावे प्रयतितव्यमेभिर्हेतुभिः; तद्यथा- सात्म्येन्द्रियार्थसंयोगेन बुद्ध्या सम्यगवेक्ष्यावेक्ष्य कर्मणां सम्यक् प्रतिपादनेन, देशकालात्मगुणविपरीतोपासनेन चेति| तस्मादात्महितं चिकीर्षता सर्वेण सर्वं सर्वदा स्मृतिमास्थाय सद्वृत्तमनुष्ठेयम्||१७||
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− | आयुर्वेददीपिका व्याख्या (चक्रपाणिदत्त कृत): तस्मात् कारणादात्महितं कर्तुमिच्छता, स्मृतिमास्थायावधानेन सद्वृत्तोपदेशं स्मृत्वेत्यर्थः, सतां वृत्तमनुष्ठानं देहवाङ्मनःप्रवृत्तिरूपं सद्वृत्तमनुष्ठेयम्| इह जन्मनि जन्मान्तरे च शान्तिशौचाचारादियोगजनितधर्मप्रभावात्त्रिवर्गमव्याकुलमुपयुञ्जानास्तिष्ठन्तीति ‘सन्त’ इत्युच्यन्ते, अधार्मिकास्तु विद्यमाना अप्यप्रशस्तावस्थानत्वेन| ‘असन्त’ इत्युच्यन्ते||१७||
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− | The persons shall always remember the suitable and unsuitable things for himself based upon his habitat, season and basic constitution. He shall follow the opposite measures of these three parameters for sustaining equilibrium. One shall always remember and observe Sadvritta for better health in this life and after life. (Cha.Su.8/17)
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| ===One of the attribute of good patient=== | | ===One of the attribute of good patient=== |
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| The examiner shall possess good memory of scientific knowledge in order to examine, validate and authenticate observations. (Cha.Su.28/37) | | The examiner shall possess good memory of scientific knowledge in order to examine, validate and authenticate observations. (Cha.Su.28/37) |
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− | ===Important quality of Apta (authorities) to consider as proof:=== | + | ===Important quality of Apta (authorities) to consider as proof=== |
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| आप्ता ह्यवितर्कस्मृतिविभागविदो निष्प्रीत्युपतापदर्शिनश्च| | | आप्ता ह्यवितर्कस्मृतिविभागविदो निष्प्रीत्युपतापदर्शिनश्च| |
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| Good memory is essential for good quality of life. (Cha.Su.30/24) | | Good memory is essential for good quality of life. (Cha.Su.30/24) |
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− | == Origin of Smruti and its functioning == | + | ===Origin of Smruti in embryogenesis=== |
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| + | ====Aatmaja bhava (factor related with one's soul)==== |
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| + | यानि तु खल्वस्य गर्भस्यात्मजानि, यानि चास्यात्मतः सम्भवतः सम्भवन्ति, तान्यनुव्याख्यास्यामः तद्यथा- तासु तासु योनिषूत्पत्तिरायुरात्मज्ञानं मन इन्द्रियाणि प्राणापानौ प्रेरणं धारणमाकृतिस्वरवर्णविशेषाः सुखदुःखे इच्छाद्वेषौ चेतना धृतिर्बुद्धिः स्मृतिरहङ्कारः प्रयत्नश्चेति (आत्मजानि)||१०|| |
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| + | During the process of embryogenesis, Smruti is categorized under the factors having origin from soul. It shows memory is unique in every individual and can differ from person to person. (Cha.Sha.3/10) |
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| + | ====Jatismara (one who remembers previous past life)==== |
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| + | अस्ति खलु सत्त्वमौपपादुकं; यज्जीवं स्पृक्शरीरेणाभिसम्बध्नाति, यस्मिन्नपगमनपुरस्कृते शीलमस्य व्यावर्तते, भक्तिर्विपर्यस्यते, सर्वेन्द्रियाण्युपतप्यन्ते, बलं हीयते, व्याधय आप्याय्यन्ते, यस्माद्धीनः प्राणाञ्जहाति, यदिन्द्रियाणामभिग्राहकं च ‘मन’ इत्यभिधीयते; तत्त्रिविधमाख्यायते- शुद्धं, राजसं, तामसमिति| |
| + | येनास्य खलु मनो भूयिष्ठं, तेन द्वितीयायामाजातौ सम्प्रयोगो भवति; यदा तु तेनैव शुद्धेन संयुज्यते, तदा जातेरतिक्रान्ताया अपि स्मरति| |
| + | स्मार्तं हि ज्ञानमात्मनस्तस्यैव मनसोऽनुबन्धादनुवर्तते, यस्यानुवृत्तिं पुरस्कृत्य पुरुषो ‘जातिस्मर’ इत्युच्यते| ||१३|| |
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| + | There is possibility of remembering past life. One who remembers past life is called 'Jatismara'. Purity of psyche is responsible for remembrance of past life as it is united with the soul. (Cha.Sha.3/13) |
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| + | ====Sattvaja bhava(factor related with one's psyche)==== |
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| + | यानि खल्वस्य गर्भस्य सत्त्वजानि, यान्यस्य सत्त्वतः सम्भवतः सम्भवन्ति, तान्यनुव्याख्यास्यामः; तद्यथा- भक्तिः शीलं शौचं द्वेषः स्मृतिर्मोहस्त्यागो मात्सर्यं शौर्यं भयं क्रोधस्तन्द्रोत्साहस्तैक्ष्ण्यं मार्दवं गाम्भीर्यमनवस्थितत्वमित्येवमादयश्चान्ये, ते सत्त्वविकारा यानुत्तरकालं सत्त्वभेदमधिकृत्योपदेक्ष्यामः| |
| + | नानाविधानि खलु सत्त्वानि, तानि सर्वाण्येकपुरुषे भवन्ति, न च भवन्त्येककालम्, एकं तु प्रायोवृत्त्याऽऽह [३] ||१३|| |
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| + | Smruti is categorized under the factors having origin from the psyche. (Cha.Sha.3/13) |
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| ===Smruti of previous life (after rebirth) due to soul:=== | | ===Smruti of previous life (after rebirth) due to soul:=== |
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| Smruti vibhramsha (perversion of memory) is observed as harmful consequence of alcohol. (Cha.Chi.24/57) | | Smruti vibhramsha (perversion of memory) is observed as harmful consequence of alcohol. (Cha.Chi.24/57) |
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| ===Gramya ahara(domestic diet and lifestyle)=== | | ===Gramya ahara(domestic diet and lifestyle)=== |
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| The impairment of memory leads to various intellectual errors called pradnyaparadha resulting in vitiation of all dosha. (Cha.Sha.1/102) | | The impairment of memory leads to various intellectual errors called pradnyaparadha resulting in vitiation of all dosha. (Cha.Sha.1/102) |
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− | ===Disorder of Smruti is important cardinal sign of psychiatric disorders:=== | + | ===Disorder of Smruti is important cardinal sign of psychiatric disorders=== |
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| ====Smruti vibhrama in Unmada(insanity)==== | | ====Smruti vibhrama in Unmada(insanity)==== |
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Line 273: |
| Decrease in memory is sign of obstruction of functioning of vyana vata by Prana vata. (Cha.Chi.28/202-203) | | Decrease in memory is sign of obstruction of functioning of vyana vata by Prana vata. (Cha.Chi.28/202-203) |
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− | ===Utility of Smruti in treatment===
| + | ==Utility of Smruti in treatment== |
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| + | ===A treatment measure in mental disorders=== |
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| प्रशाम्यत्यौषधैः पूर्वो दैवयुक्तिव्यपाश्रयैः| | | प्रशाम्यत्यौषधैः पूर्वो दैवयुक्तिव्यपाश्रयैः| |
Line 329: |
Line 288: |
| | | |
| Atreya Punarvasu has been attributed with the highest qualities of intellect, memory and knowledge while he narrated the chapter on Unmada(insanity). This shows that a health care provider dealing with the mental health, psychiatric disease possess highest intellectual strength and memory in order to treat the patient. (Cha.Chi.9/3) | | Atreya Punarvasu has been attributed with the highest qualities of intellect, memory and knowledge while he narrated the chapter on Unmada(insanity). This shows that a health care provider dealing with the mental health, psychiatric disease possess highest intellectual strength and memory in order to treat the patient. (Cha.Chi.9/3) |
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| + | ===A preventive measure of exogenous diseases=== |
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| + | त्यागः प्रज्ञापराधानामिन्द्रियोपशमः स्मृतिः| |
| + | देशकालात्मविज्ञानं सद्वृत्तस्यानुवर्तनम्||५३|| |
| + | आगन्तूनामनुत्पत्तावेष मार्गो निदर्शितः| |
| + | प्राज्ञः प्रागेव तत् कुर्याद्धितं विद्याद्यदात्मनः||५४|| |
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| + | आयुर्वेददीपिका व्याख्या (चक्रपाणिदत्त कृत): स्मृतिः पुत्रादीनां विनश्वरत्वस्वभावाद्यनुस्मरणं;यदुक्तम्- “स्मृत्वा स्वभावं भावानां स्मरन् दुःखाद्विमुच्यते” (शा.अ.१); एतच्च द्वयं मानसरोगप्रतिघातकम्| |
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| + | The person shall always remember the ultimate truth about death of dear ones like son, daughter etc., so as to prevent exogenous diseases arising due to grief or bereavement as it occurs. (Cha.Su.7/53/54) |
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| + | ===One of the observable measure for mental health=== |
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| + | पापवृत्तवचःसत्त्वाः सूचकाः कलहप्रियाः| |
| + | मर्मोपहासिनो लुब्धाः परवृद्धिद्विषः शठाः||५६|| |
| + | परापवादरतयश्चपला रिपुसेविनः| |
| + | निर्घृणास्त्यक्तधर्माणः परिवर्ज्या नराधमाः||५७|| |
| + | बुद्धिविद्यावयःशीलधैर्यस्मृतिसमाधिभिः| |
| + | वृद्धोपसेविनो वृद्धाः स्वभावज्ञा गतव्यथाः||५८|| |
| + | सुमुखाः सर्वभूतानां प्रशान्ताः शंसितव्रताः| |
| + | सेव्याः सन्मार्गवक्तारः पुण्यश्रवणदर्शनाः||५९|| |
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| + | One shall always follow and remember good experiential knowledge for preserving mental health. (Cha.Su.7/58) |
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| + | ===Treatment for Atattvabhinivesha=== |
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| + | सुहृदश्चानुकूलास्तं स्वाप्ता धर्मार्थवादिनः| |
| + | संयोजयेयुर्विज्ञानधैर्यस्मृतिसमाधिभिः ||६३|| |
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| + | The patient suffering from Atattvabhinivsha shall be treated to induce his good memory and live with friends having good scientific and spiritual knowledge. (Cha.Chi.10/63) |
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| + | ===One of the measure for health in this life and after life=== |
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| + | तत्रेन्द्रियाणां समनस्कानामनुपतप्तानामनुपतापाय प्रकृतिभावे प्रयतितव्यमेभिर्हेतुभिः; तद्यथा- सात्म्येन्द्रियार्थसंयोगेन बुद्ध्या सम्यगवेक्ष्यावेक्ष्य कर्मणां सम्यक् प्रतिपादनेन, देशकालात्मगुणविपरीतोपासनेन चेति| तस्मादात्महितं चिकीर्षता सर्वेण सर्वं सर्वदा स्मृतिमास्थाय सद्वृत्तमनुष्ठेयम्||१७|| |
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| + | आयुर्वेददीपिका व्याख्या (चक्रपाणिदत्त कृत): तस्मात् कारणादात्महितं कर्तुमिच्छता, स्मृतिमास्थायावधानेन सद्वृत्तोपदेशं स्मृत्वेत्यर्थः, सतां वृत्तमनुष्ठानं देहवाङ्मनःप्रवृत्तिरूपं सद्वृत्तमनुष्ठेयम्| इह जन्मनि जन्मान्तरे च शान्तिशौचाचारादियोगजनितधर्मप्रभावात्त्रिवर्गमव्याकुलमुपयुञ्जानास्तिष्ठन्तीति ‘सन्त’ इत्युच्यन्ते, अधार्मिकास्तु विद्यमाना अप्यप्रशस्तावस्थानत्वेन| ‘असन्त’ इत्युच्यन्ते||१७|| |
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| + | The persons shall always remember the suitable and unsuitable things for himself based upon his habitat, season and basic constitution. He shall follow the opposite measures of these three parameters for sustaining equilibrium. One shall always remember and observe Sadvritta for better health in this life and after life. (Cha.Su.8/17) |
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| ===Sign of curing Unmada=== | | ===Sign of curing Unmada=== |
Line 344: |
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| The person who intends to follow kutipraveshik rasayana must possess strength with good memory.(Cha.Chi.1/1/22) | | The person who intends to follow kutipraveshik rasayana must possess strength with good memory.(Cha.Chi.1/1/22) |
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− | ==Can it be increased?== | + | ==Can Smruti be improved?== |
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| The memory can be improved by following measures. | | The memory can be improved by following measures. |
Line 362: |
Line 360: |
| शुद्धस्याचारविभ्रंशे तीक्ष्णं नावनमञ्जनम्| | | शुद्धस्याचारविभ्रंशे तीक्ष्णं नावनमञ्जनम्| |
| ताडनं च मनोबुद्धिदेहसंवेजनं [१] हितम्||२९|| | | ताडनं च मनोबुद्धिदेहसंवेजनं [१] हितम्||२९|| |
− | यः सक्तोऽविनये [२] पट्टैः संयम्य सुदृढैः सुखैः| | + | यः सक्तोऽविनये पट्टैः संयम्य सुदृढैः सुखैः| |
| अपेतलोहकाष्ठाद्ये संरोध्यश्च तमोगृहे||३०|| | | अपेतलोहकाष्ठाद्ये संरोध्यश्च तमोगृहे||३०|| |
| तर्जनं त्रासनं दानं हर्षणं सान्त्वनं भयम्| | | तर्जनं त्रासनं दानं हर्षणं सान्त्वनं भयम्| |