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− | लिङ्गं पित्तावृते दाहस्तृष्णा शूलं भ्रमस्तमः [१] ||६१|| <br /> | + | लिङ्गं पित्तावृते दाहस्तृष्णा शूलं भ्रमस्तमः [१] ||६१|| |
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| कट्वम्ललवणोष्णैश्च विदाहः शीतकामिता | <br /> | | कट्वम्ललवणोष्णैश्च विदाहः शीतकामिता | <br /> |
− | शैत्यगौरवशूलानि कट्वाद्युपशयोऽधिकम् ||६२|| <br />
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| + | शैत्यगौरवशूलानि कट्वाद्युपशयोऽधिकम् ||६२|| |
| लङ्घनायासरूक्षोष्णकामिता च कफावृते | <br /> | | लङ्घनायासरूक्षोष्णकामिता च कफावृते | <br /> |
− | रक्तावृते सदाहार्तिस्त्वङ्मांसान्तरजो भृशम् ||६३|| <br />
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| + | रक्तावृते सदाहार्तिस्त्वङ्मांसान्तरजो भृशम् ||६३|| |
| भवेत् सरागः श्वयथुर्जायन्ते मण्डलानि च | <br /> | | भवेत् सरागः श्वयथुर्जायन्ते मण्डलानि च | <br /> |
− | कठिनाश्च विवर्णाश्च पिडकाः श्वयथुस्तथा ||६४||<br />
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| + | कठिनाश्च विवर्णाश्च पिडकाः श्वयथुस्तथा ||६४|| |
| हर्षः पिपीलिकानां च सञ्चार इव मांसगे | <br /> | | हर्षः पिपीलिकानां च सञ्चार इव मांसगे | <br /> |
− | चलः स्निग्धो मृदुः शीतः शोफोऽङ्गेष्वरुचिस्तथा ||६५|| <br />
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| + | चलः स्निग्धो मृदुः शीतः शोफोऽङ्गेष्वरुचिस्तथा ||६५|| |
| आढ्यवात इति ज्ञेयः स कृच्छ्रो मेदसाऽऽवृतः | <br /> | | आढ्यवात इति ज्ञेयः स कृच्छ्रो मेदसाऽऽवृतः | <br /> |
− | स्पर्शमस्थ्नाऽऽवृते तूष्णं पीडनं चाभिनन्दति ||६६|| <br />
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| + | स्पर्शमस्थ्नाऽऽवृते तूष्णं पीडनं चाभिनन्दति ||६६|| |
| सम्भज्यते सीदति च सूचीभिरिव तुद्यते | <br /> | | सम्भज्यते सीदति च सूचीभिरिव तुद्यते | <br /> |
− | मज्जावृते विनामः [२] स्याज्जृम्भणं परिवेष्टनम् ||६७|| <br />
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| + | मज्जावृते विनामः [२] स्याज्जृम्भणं परिवेष्टनम् ||६७|| |
| शूलं तु पीड्यमाने च पाणिभ्यां लभते सुखम् | <br /> | | शूलं तु पीड्यमाने च पाणिभ्यां लभते सुखम् | <br /> |
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| शुक्रावेगोऽतिवेगो वा निष्फलत्वं च शुक्रगे ||६८||<br /> | | शुक्रावेगोऽतिवेगो वा निष्फलत्वं च शुक्रगे ||६८||<br /> |
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| भुक्ते कुक्षौ च रुग्जीर्णे शाम्यत्यन्नावृतेऽनिले | <br /> | | भुक्ते कुक्षौ च रुग्जीर्णे शाम्यत्यन्नावृतेऽनिले | <br /> |
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| मूत्राप्रवृत्तिराध्मानं बस्तौ मूत्रावृतेऽनिले ||६९|| <br /> | | मूत्राप्रवृत्तिराध्मानं बस्तौ मूत्रावृतेऽनिले ||६९|| <br /> |
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− | वर्चसोऽतिविबन्धोऽधः स्वे स्थाने परिकृन्तति | <br /> | + | वर्चसोऽतिविबन्धोऽधः स्वे स्थाने परिकृन्तति | |
− | व्रजत्याशु जरां स्नेहो भुक्ते चानह्यते नरः ||७०|| <br /> | + | व्रजत्याशु जरां स्नेहो भुक्ते चानह्यते नरः ||७०|| |
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− | चिरात् पीडितमन्नेन दुःखं शुष्कं शकृत् सृजेत् | <br /> | + | चिरात् पीडितमन्नेन दुःखं शुष्कं शकृत् सृजेत् | |
− | श्रोणीवङ्क्षणपृष्ठेषु रुग्विलोमश्च मारुतः ||७१|| <br /> | + | श्रोणीवङ्क्षणपृष्ठेषु रुग्विलोमश्च मारुतः ||७१|| |
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| अस्वस्थं हृदयं चैव वर्चसा त्वावृतेऽनिले |७२|<br /> | | अस्वस्थं हृदयं चैव वर्चसा त्वावृतेऽनिले |७२|<br /> |
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| li~ggaM pittAvRute dAhastRuShNA shUlaM bhramastamaH [1] ||61|| <br /> | | li~ggaM pittAvRute dAhastRuShNA shUlaM bhramastamaH [1] ||61|| <br /> |
| + | kaTvamlalavaNoShNaishca vidAhaH shItakAmitA | <br /> |
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− | kaTvamlalavaNoShNaishca vidAhaH shItakAmitA | <br />
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| shaityagauravashUlAni kaTvAdyupashayo~adhikam ||62|| <br /> | | shaityagauravashUlAni kaTvAdyupashayo~adhikam ||62|| <br /> |
| + | la~gghanAyAsarUkShoShNakAmitA ca kaphAvRute | <br /> |
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− | la~gghanAyAsarUkShoShNakAmitA ca kaphAvRute | <br />
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| raktAvRute sadAhArtistva~gmāṁsantarajo bhRusham ||63|| <br /> | | raktAvRute sadAhArtistva~gmāṁsantarajo bhRusham ||63|| <br /> |
| + | bhavet sarAgaH shvayathurjAyante maNDalAni ca | <br /> |
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− | bhavet sarAgaH shvayathurjAyante maNDalAni ca | <br />
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| kaThinAshca vivarNAshca piDakAH shvayathustathA ||64|| <br /> | | kaThinAshca vivarNAshca piDakAH shvayathustathA ||64|| <br /> |
| + | harShaH pipIlikAnAM ca sa~jcAra iva māṁsage | <br /> |
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− | harShaH pipIlikAnAM ca sa~jcAra iva māṁsage | <br />
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| calaH snigdho mRuduH shItaH shopho~a~ggeShvarucistathA ||65|| <br /> | | calaH snigdho mRuduH shItaH shopho~a~ggeShvarucistathA ||65|| <br /> |
| + | ADhyavāta iti j~jeyaH sa kRucchro medasA~a~avRutaH | <br /> |
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− | ADhyavāta iti j~jeyaH sa kRucchro medasA~a~avRutaH | <br />
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| sparshamasthnA~a~avRute tUShNaM pIDanaM cAbhinandati ||66|| <br /> | | sparshamasthnA~a~avRute tUShNaM pIDanaM cAbhinandati ||66|| <br /> |
| + | sambhajyate sIdati ca sUcIbhiriva tudyate | <br /> |
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− | sambhajyate sIdati ca sUcIbhiriva tudyate | <br />
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| majjAvRute vinAmaH [2] syAjjRumbhaNaM pariveShTanam ||67|| <br /> | | majjAvRute vinAmaH [2] syAjjRumbhaNaM pariveShTanam ||67|| <br /> |
| + | shUlaM tu pIDyamAne ca pANibhyAM labhate sukham | <br /> |
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− | shUlaM tu pIDyamAne ca pANibhyAM labhate sukham | <br />
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| śukravego~ativego vA niShphalatvaM ca śukrage ||68|| <br /> | | śukravego~ativego vA niShphalatvaM ca śukrage ||68|| <br /> |
| + | bhukte kukShau ca rugjIrNe shAmyatyannAvRute~anile | <br /> |
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− | bhukte kukShau ca rugjIrNe shAmyatyannAvRute~anile | <br />
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| mūtrapravRuttirAdhmAnaM bastau mūtravRute~anile ||69|| <br /> | | mūtrapravRuttirAdhmAnaM bastau mūtravRute~anile ||69|| <br /> |
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| varcaso~ativibandho~adhaH sve sthAne parikRuntati | <br /> | | varcaso~ativibandho~adhaH sve sthAne parikRuntati | <br /> |
| vrajatyAshu jarAM sneho bhukte cAnahyate naraH ||70|| <br /> | | vrajatyAshu jarAM sneho bhukte cAnahyate naraH ||70|| <br /> |
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| cirAt pIDitamannena duHkhaM shuShkaM shakRut sRujet | <br /> | | cirAt pIDitamannena duHkhaM shuShkaM shakRut sRujet | <br /> |
| shroNIva~gkShaNapRuShTheShu rugvilomashca mArutaH ||71|| <br /> | | shroNIva~gkShaNapRuShTheShu rugvilomashca mArutaH ||71|| <br /> |
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| asvasthaM hRudayaM caiva varcasA tvAvRute~anile |72| <br /> | | asvasthaM hRudayaM caiva varcasA tvAvRute~anile |72| <br /> |
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| liṅgaṁ pittāvr̥tē dāhastr̥ṣṇā śūlaṁ bhramastamaḥ [1] ||61|| <br /> | | liṅgaṁ pittāvr̥tē dāhastr̥ṣṇā śūlaṁ bhramastamaḥ [1] ||61|| <br /> |
| + | kaṭvamlalavaṇōṣṇaiśca vidāhaḥ śītakāmitā| <br /> |
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− | kaṭvamlalavaṇōṣṇaiśca vidāhaḥ śītakāmitā| <br />
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| śaityagauravaśūlāni kaṭvādyupaśayō'dhikam||62|| <br /> | | śaityagauravaśūlāni kaṭvādyupaśayō'dhikam||62|| <br /> |
| + | laṅghanāyāsarūkṣōṣṇakāmitā ca kaphāvr̥tē| <br /> |
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− | laṅghanāyāsarūkṣōṣṇakāmitā ca kaphāvr̥tē| <br />
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| raktāvr̥tē sadāhārtistvaṅmāṁsāntarajō bhr̥śam||63|| <br /> | | raktāvr̥tē sadāhārtistvaṅmāṁsāntarajō bhr̥śam||63|| <br /> |
| + | bhavēt sarāgaḥ śvayathurjāyantē maṇḍalāni ca| <br /> |
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− | bhavēt sarāgaḥ śvayathurjāyantē maṇḍalāni ca| <br />
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| kaṭhināśca vivarṇāśca piḍakāḥ śvayathustathā||64|| <br /> | | kaṭhināśca vivarṇāśca piḍakāḥ śvayathustathā||64|| <br /> |
| + | harṣaḥ pipīlikānāṁ ca sañcāra iva māṁsagē| <br /> |
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− | harṣaḥ pipīlikānāṁ ca sañcāra iva māṁsagē| <br />
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| calaḥ snigdhō mr̥duḥ śītaḥ śōphō'ṅgēṣvarucistathā||65|| <br /> | | calaḥ snigdhō mr̥duḥ śītaḥ śōphō'ṅgēṣvarucistathā||65|| <br /> |
| + | āḍhyavāta iti jñēyaḥ sa kr̥cchrō mēdasā''vr̥taḥ| <br /> |
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− | āḍhyavāta iti jñēyaḥ sa kr̥cchrō mēdasā''vr̥taḥ| <br />
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| sparśamasthnā''vr̥tē tūṣṇaṁ pīḍanaṁ cābhinandati||66|| <br /> | | sparśamasthnā''vr̥tē tūṣṇaṁ pīḍanaṁ cābhinandati||66|| <br /> |
| + | sambhajyatē sīdati ca sūcībhiriva tudyatē| <br /> |
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− | sambhajyatē sīdati ca sūcībhiriva tudyatē| <br />
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| majjāvr̥tē vināmaḥ [2] syājjr̥mbhaṇaṁ parivēṣṭanam||67|| <br /> | | majjāvr̥tē vināmaḥ [2] syājjr̥mbhaṇaṁ parivēṣṭanam||67|| <br /> |
| + | śūlaṁ tu pīḍyamānē ca pāṇibhyāṁ labhatē sukham| <br /> |
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− | śūlaṁ tu pīḍyamānē ca pāṇibhyāṁ labhatē sukham| <br />
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| śukrāvēgō'tivēgō vā niṣphalatvaṁ ca śukragē||68|| <br /> | | śukrāvēgō'tivēgō vā niṣphalatvaṁ ca śukragē||68|| <br /> |
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| bhuktē kukṣau ca rugjīrṇē śāmyatyannāvr̥tē'nilē| <br /> | | bhuktē kukṣau ca rugjīrṇē śāmyatyannāvr̥tē'nilē| <br /> |
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| mūtrāpravr̥ttirādhmānaṁ bastau mūtrāvr̥tē'nilē||69|| <br /> | | mūtrāpravr̥ttirādhmānaṁ bastau mūtrāvr̥tē'nilē||69|| <br /> |
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| varcasō'tivibandhō'dhaḥ svē sthānē parikr̥ntati| <br /> | | varcasō'tivibandhō'dhaḥ svē sthānē parikr̥ntati| <br /> |
| vrajatyāśu jarāṁ snēhō bhuktē cānahyatē naraḥ||70|| <br /> | | vrajatyāśu jarāṁ snēhō bhuktē cānahyatē naraḥ||70|| <br /> |
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| cirāt pīḍitamannēna duḥkhaṁ śuṣkaṁ śakr̥t sr̥jēt| <br /> | | cirāt pīḍitamannēna duḥkhaṁ śuṣkaṁ śakr̥t sr̥jēt| <br /> |
| śrōṇīvaṅkṣaṇapr̥ṣṭhēṣu rugvilōmaśca mārutaḥ||71|| <br /> | | śrōṇīvaṅkṣaṇapr̥ṣṭhēṣu rugvilōmaśca mārutaḥ||71|| <br /> |
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| asvasthaṁ hr̥dayaṁ caiva varcasā tvāvr̥tē'nilē|72| <br /> | | asvasthaṁ hr̥dayaṁ caiva varcasā tvāvr̥tē'nilē|72| <br /> |
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