Line 201: |
Line 201: |
| यथावत्सम्प्रवक्ष्यामिसिद्धान्बस्तींश्चयापनान्||१३||<br /> | | यथावत्सम्प्रवक्ष्यामिसिद्धान्बस्तींश्चयापनान्||१३||<br /> |
| | | |
− | तत्रोच्चैर्भाष्यातिभाष्याभ्यांशिरस्तापशङ्खकर्णनिस्तोदश्रोत्रोपरोधमुखतालुकण्ठशोषतैमिर्यपिपासाज्वरतमक-हनुग्रहमन्यास्तम्भनिष्ठीवनोरःपार्श्वशूलस्वरभेदहिक्काश्वासादयःस्युः(१)|
| + | तत्रोच्चैर्भाष्यातिभाष्याभ्यांशिरस्तापशङ्खकर्णनिस्तोदश्रोत्रोपरोध |
| | | |
− | रथक्षोभात्सन्धिपर्वशैथिल्यहनुनासाकर्णशिरःशूलतोदकुक्षिक्षोभाटोपान्त्रकूजनाध्मानहृदयेन्द्रियोपरोध-स्फिक्पार्श्ववङ्क्षणवृषणकटीपृष्ठवेदनासन्धिस्कन्धग्रीवादौर्बल्याङ्गाभितापपादशोफप्रस्वापहर्षणादयः (२)|
| + | मुखतालुकण्ठशोषतैमिर्यपिपासाज्वरतमक- |
| | | |
− | अतिचङ्कमणात्पादजङ्घोरुजानुवङ्क्षणश्रोणीपृष्ठशूलसक्थिसादनिस्तोद-पिण्डिकोद्वेष्टनाङ्गमर्दांसाभितापसिराधमनीहर्षश्वासकासादयः(३)| | + | हनुग्रहमन्यास्तम्भनिष्ठीवनोरःपार्श्वशूलस्वरभेदहिक्काश्वासादयःस्युः(१)| |
| + | |
| + | रथक्षोभात्सन्धिपर्वशैथिल्यहनुनासाकर्णशिरःशूलतोदकुक्षिक्षोभाटोपान्त्रकूजनाध्मानहृदयेन्द्रियोपरोध- |
| + | |
| + | स्फिक्पार्श्ववङ्क्षणवृषणकटीपृष्ठवेदनासन्धिस्कन्धग्रीवादौर्बल्याङ्गाभितापपादशोफप्रस्वापहर्षणादयः (२)| |
| + | |
| + | अतिचङ्कमणात्पादजङ्घोरुजानुवङ्क्षणश्रोणीपृष्ठशूलसक्थिसादनिस्तोद- |
| + | |
| + | पिण्डिकोद्वेष्टनाङ्गमर्दांसाभितापसिराधमनीहर्षश्वासकासादयः(३)| |
| | | |
| अत्यासनाद्रथक्षोभजाःस्फिक्पार्श्ववङ्क्षणवृषणकटीपृष्ठवेदनादयः(४)| | | अत्यासनाद्रथक्षोभजाःस्फिक्पार्श्ववङ्क्षणवृषणकटीपृष्ठवेदनादयः(४)| |
| | | |
− | अजीर्णाध्यशनाभ्यांतुमुखशोषाध्मानशूलनिस्तोदपिपासागात्रसादच्छर्द्यतीसारमूर्च्छाज्वरप्रवाहणामविषादयः(५)|
| + | अजीर्णाध्यशनाभ्यांतुमुखशोषाध्मानशूलनिस्तोदपिपासा |
| + | |
| + | गात्रसादच्छर्द्यतीसारमूर्च्छाज्वरप्रवाहणामविषादयः(५)| |
| + | |
| + | विषमाहिताशनाभ्यामनन्नाभिलाषदौर्बल्यवैवर्ण्यकण्डू |
| + | |
| + | पामागात्रसादवातादिप्रकोपजाश्चग्रहण्यर्शोविकारादयः(६)| |
| + | |
| + | दिवास्वप्नादरोचकाविपाकाग्निनाशस्तैमित्यपाण्डुत्वकण्डू |
| + | |
| + | पामादाहच्छर्द्यङ्गमर्दहृत्स्तम्भजाड्यतन्द्रानिद्रा |
| + | |
| + | प्रसङ्गग्रन्थिजन्मदौर्बल्यरक्तमूत्राक्षितातालुलेपाः(७)| |
| + | |
| + | व्यवायादाशुबलनाशोरुसादशिरोबस्तिगुदमेढ्रवङ्क्षणोरुजानुजङ्घापादशूल |
| + | |
| + | हृदयस्पन्दननेत्रपीडाङ्गशैथिल्य |
| + | |
| + | शुक्रमार्गशोणितागमनकासश्वासशोणितष्ठीवनस्वरावसाद |
| + | |
| + | कटीदौर्बल्यैकाङ्गसर्वाङ्गरोगमुष्कश्वयथु- |
| | | |
− | विषमाहिताशनाभ्यामनन्नाभिलाषदौर्बल्यवैवर्ण्यकण्डूपामागात्रसादवातादिप्रकोपजाश्चग्रहण्यर्शोविकारादयः(६)|
| + | वातवर्चोमूत्रसङ्गशुक्रविसर्गजाड्यवेपथुबाधिर्यविषादादयःस्युः; |
| | | |
− | दिवास्वप्नादरोचकाविपाकाग्निनाशस्तैमित्यपाण्डुत्वकण्डूपामादाहच्छर्द्यङ्गमर्दहृत्स्तम्भजाड्यतन्द्रानिद्रा-प्रसङ्गग्रन्थिजन्मदौर्बल्यरक्तमूत्राक्षितातालुलेपाः(७)|
| + | अवलुप्यतइवगुदः,ताड्यतइवमेढ्रम्,अवसीदतीवमनो, |
| | | |
− | व्यवायादाशुबलनाशोरुसादशिरोबस्तिगुदमेढ्रवङ्क्षणोरुजानुजङ्घापादशूलहृदयस्पन्दननेत्रपीडाङ्गशैथिल्य-शुक्रमार्गशोणितागमनकासश्वासशोणितष्ठीवनस्वरावसादकटीदौर्बल्यैकाङ्गसर्वाङ्गरोगमुष्कश्वयथु-वातवर्चोमूत्रसङ्गशुक्रविसर्गजाड्यवेपथुबाधिर्यविषादादयःस्युः;अवलुप्यतइवगुदः,ताड्यतइवमेढ्रम्,अवसीदतीवमनो,वेपतेहृदयं,पीड्यन्तेसन्धयः,तमःप्रवेश्यतइवच(८)|
| + | वेपतेहृदयं,पीड्यन्तेसन्धयः,तमःप्रवेश्यतइवच(८)| |
| | | |
| इत्येवमेभिरष्टभिरपचारैरेतेप्रादुर्भवन्त्युपद्रवाः||१४|| | | इत्येवमेभिरष्टभिरपचारैरेतेप्रादुर्भवन्त्युपद्रवाः||१४|| |