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− | तत्र व्याधयोऽपरिसङ्ख्येया भवन्ति, अतिबहुत्वात्| दोषास्तु खलु परिसङ्ख्येया भवन्ति, अनतिबहुत्वात्| तस्माद्यथाचित्रं विकारानुदाहरणार्थम्, अनवशेषेण च दोषान् व्याख्यास्यामः| रजस्तमश्च मानसौ दोषौ| तयोर्विकाराः कामक्रोधलोभमोहेर्ष्यामानमदशोकचित्तो(न्तो)द्वेगभयहर्षादयः| | + | तत्र व्याधयोऽपरिसङ्ख्येया भवन्ति, अतिबहुत्वात्| दोषास्तु खलु परिसङ्ख्येया भवन्ति, अनतिबहुत्वात्| तस्माद्यथाचित्रं विकारानुदाहरणार्थम्, अनवशेषेण च दोषान् व्याख्यास्यामः| रजस्तमश्च मानसौ दोषौ| तयोर्विकाराः कामक्रोधलोभमोहेर्ष्यामानमदशोकचित्तो(न्तो)द्वेगभयहर्षादयः|<br /> |
− | वातपित्तश्लेष्माणस्तु खलु शारीरा दोषाः| तेषामपि च विकारा ज्वरातीसारशोफशोषश्वासमेहकुष्ठादयः| इति दोषाः केवला व्याख्याता विकारैकदेशश्च||५|| | + | वातपित्तश्लेष्माणस्तु खलु शारीरा दोषाः| तेषामपि च विकारा ज्वरातीसारशोफशोषश्वासमेहकुष्ठादयः| इति दोषाः केवला व्याख्याता विकारैकदेशश्च||५|| <br /> |
− | तत्र खल्वेषां द्वयानामपि दोषाणां त्रिविधं प्रकोपणं; तद्यथा- असात्म्येन्द्रियार्थसंयोगः, प्रज्ञापराधः परिणामश्चेति||६|| | + | तत्र खल्वेषां द्वयानामपि दोषाणां त्रिविधं प्रकोपणं; तद्यथा- असात्म्येन्द्रियार्थसंयोगः, प्रज्ञापराधः परिणामश्चेति||६||<br /> |
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| #seasonal vagaries. [5-6] | | #seasonal vagaries. [5-6] |
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| ==== Factors responsible for manifestation of innumerable diseases ==== | | ==== Factors responsible for manifestation of innumerable diseases ==== |
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