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| सद्यस्तितिक्षतः प्राणाँल्लक्षणानि पृथक् पृथक्| | | सद्यस्तितिक्षतः प्राणाँल्लक्षणानि पृथक् पृथक्| |
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| अग्निवेश! प्रवक्ष्यामि संस्पृष्टो यैर्न जीवति||३|| | | अग्निवेश! प्रवक्ष्यामि संस्पृष्टो यैर्न जीवति||३|| |
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| sadyastitikṣataḥ prāṇāmँllakṣaṇāni pr̥thak pr̥thak| | | sadyastitikṣataḥ prāṇāmँllakṣaṇāni pr̥thak pr̥thak| |
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| agnivēśa! pravakṣyāmi saṁspr̥ṣṭō yairna jīvati||3|| | | agnivēśa! pravakṣyāmi saṁspr̥ṣṭō yairna jīvati||3|| |
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| sadyastitikShataH prANA@mllakShaNAni pRuthak pRuthak| | | sadyastitikShataH prANA@mllakShaNAni pRuthak pRuthak| |
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| agnivesha! pravakShyAmi saMspRuShTo yairna jIvati||3|| | | agnivesha! pravakShyAmi saMspRuShTo yairna jIvati||3|| |
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| वाताष्ठीला सुसंवृद्धा तिष्ठन्ती दारुणा हृदि| | | वाताष्ठीला सुसंवृद्धा तिष्ठन्ती दारुणा हृदि| |
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| तृष्णयाऽभिपरीतस्य सद्यो मुष्णाति जीवितम्||४|| | | तृष्णयाऽभिपरीतस्य सद्यो मुष्णाति जीवितम्||४|| |
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| पिण्डिके शिथिलीकृत्य जिह्मीकृत्य च नासिकाम्| | | पिण्डिके शिथिलीकृत्य जिह्मीकृत्य च नासिकाम्| |
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| वायुः शरीरे विचरन् सद्यो मुष्णाति जीवितम्||५|| | | वायुः शरीरे विचरन् सद्यो मुष्णाति जीवितम्||५|| |
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| भ्रुवौ यस्य च्युते स्थानादन्तर्दाहश्च दारुणः| | | भ्रुवौ यस्य च्युते स्थानादन्तर्दाहश्च दारुणः| |
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| तस्य हिक्काकरो रोगः सद्यो मुष्णाति जीवितम्||६|| | | तस्य हिक्काकरो रोगः सद्यो मुष्णाति जीवितम्||६|| |
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| क्षीणशोणितमांसस्य वायुरूर्ध्वगतिश्चरन्| | | क्षीणशोणितमांसस्य वायुरूर्ध्वगतिश्चरन्| |
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| उभे मन्ये समे यस्य सद्यो मुष्णाति जीवितम्||७|| | | उभे मन्ये समे यस्य सद्यो मुष्णाति जीवितम्||७|| |
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| अन्तरेण गुदं गच्छन् नाभिं च सहसाऽनिलः| | | अन्तरेण गुदं गच्छन् नाभिं च सहसाऽनिलः| |
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| कृशस्य वङ्क्षणौ गृह्णन् सद्यो मुष्णाति जीवितम्||८|| | | कृशस्य वङ्क्षणौ गृह्णन् सद्यो मुष्णाति जीवितम्||८|| |
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| वितत्य पर्शुकाग्राणि गृहीत्वोरश्च मारुतः| | | वितत्य पर्शुकाग्राणि गृहीत्वोरश्च मारुतः| |
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| स्तिमितस्यायताक्षस्य सद्यो मुष्णाति जीवितम्||९|| | | स्तिमितस्यायताक्षस्य सद्यो मुष्णाति जीवितम्||९|| |
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| हृदयं च गुदं चोभे गृहीत्वा मारुतो बली| | | हृदयं च गुदं चोभे गृहीत्वा मारुतो बली| |
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| दुर्बलस्य विशेषेण सद्यो मुष्णाति जीवितम्||१०|| | | दुर्बलस्य विशेषेण सद्यो मुष्णाति जीवितम्||१०|| |
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| वङ्क्षणं च गुदं चोभे गृहीत्वा मारुतो बली| | | वङ्क्षणं च गुदं चोभे गृहीत्वा मारुतो बली| |
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| श्वासं सञ्जनयञ्जन्तोः सद्यो मुष्णाति जीवितम्||११|| | | श्वासं सञ्जनयञ्जन्तोः सद्यो मुष्णाति जीवितम्||११|| |
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| नाभिं मूत्रं बस्तिशीर्षं पुरीषं चापि मारुतः| | | नाभिं मूत्रं बस्तिशीर्षं पुरीषं चापि मारुतः| |
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| प्रच्छिन्नं जनयञ्छूलं सद्यो मुष्णाति जीवितम्||१२|| | | प्रच्छिन्नं जनयञ्छूलं सद्यो मुष्णाति जीवितम्||१२|| |
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| भिद्येते वङ्क्षणौ यस्य वातशूलैः समन्ततः| | | भिद्येते वङ्क्षणौ यस्य वातशूलैः समन्ततः| |
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| भिन्नं पुरीषं तृष्णा च सद्यः प्राणाञ्जहाति सः||१३|| | | भिन्नं पुरीषं तृष्णा च सद्यः प्राणाञ्जहाति सः||१३|| |
| | | |
| आप्लुतं मारुतेनेह शरीरं यस्य केवलम्| | | आप्लुतं मारुतेनेह शरीरं यस्य केवलम्| |
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| भिन्नं पुरीषं तृष्णा च सद्यो जह्यात् स जीवितम्||१४|| | | भिन्नं पुरीषं तृष्णा च सद्यो जह्यात् स जीवितम्||१४|| |
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| शरीरं शोफितं यस्य वाताशोफेन देहिनः| | | शरीरं शोफितं यस्य वाताशोफेन देहिनः| |
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| भिन्नं पुरीषं तृष्णा च सद्यो जह्यात् स जीवितम्||१५|| | | भिन्नं पुरीषं तृष्णा च सद्यो जह्यात् स जीवितम्||१५|| |
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| आमाशयसमुत्थाना यस्य स्यात् परिकर्तिका| | | आमाशयसमुत्थाना यस्य स्यात् परिकर्तिका| |
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| भिन्नं पुरीषं तृष्णा च सद्यः प्राणाञ्जहाति सः||१६|| | | भिन्नं पुरीषं तृष्णा च सद्यः प्राणाञ्जहाति सः||१६|| |
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| पक्वाशयसमुत्थाना यस्य स्यात् परिकर्तिका| | | पक्वाशयसमुत्थाना यस्य स्यात् परिकर्तिका| |
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| तृष्णा गुदग्रहश्चोग्रः सद्यो जह्यात् स जीवितम्||१७|| | | तृष्णा गुदग्रहश्चोग्रः सद्यो जह्यात् स जीवितम्||१७|| |
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| पक्वाशयमधिष्ठाय हत्वा सञ्ज्ञां च मारुतः| | | पक्वाशयमधिष्ठाय हत्वा सञ्ज्ञां च मारुतः| |
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| कण्ठे घुर्घुरकं कृत्वा सद्यो हरति जीवितम्||१८|| | | कण्ठे घुर्घुरकं कृत्वा सद्यो हरति जीवितम्||१८|| |
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| दन्ताः कर्दमदिग्धाभा मुखं चूर्णकसन्निभम्| | | दन्ताः कर्दमदिग्धाभा मुखं चूर्णकसन्निभम्| |
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| सिप्रायन्ते च गात्राणि लिङ्गं सद्यो मरिष्यतः||१९|| | | सिप्रायन्ते च गात्राणि लिङ्गं सद्यो मरिष्यतः||१९|| |
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| तृष्णाश्वासशिरोरोगमोहदौर्बल्यकूजनैः| | | तृष्णाश्वासशिरोरोगमोहदौर्बल्यकूजनैः| |
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| स्पृष्टः प्राणाञ्जहात्याशु शकृद्भेदेन चातुरः||२०|| | | स्पृष्टः प्राणाञ्जहात्याशु शकृद्भेदेन चातुरः||२०|| |
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| vātāṣṭhīlā susaṁvr̥ddhā tiṣṭhantī dāruṇā hr̥di| | | vātāṣṭhīlā susaṁvr̥ddhā tiṣṭhantī dāruṇā hr̥di| |
| + | |
| tr̥ṣṇayā'bhiparītasya sadyō muṣṇāti jīvitam||4|| | | tr̥ṣṇayā'bhiparītasya sadyō muṣṇāti jīvitam||4|| |
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| piṇḍikē śithilīkr̥tya jihmīkr̥tya ca nāsikām| | | piṇḍikē śithilīkr̥tya jihmīkr̥tya ca nāsikām| |
| + | |
| vāyuḥ śarīrē vicaran sadyō muṣṇāti jīvitam||5|| | | vāyuḥ śarīrē vicaran sadyō muṣṇāti jīvitam||5|| |
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| bhruvau yasya cyutē sthānādantardāhaśca dāruṇaḥ| | | bhruvau yasya cyutē sthānādantardāhaśca dāruṇaḥ| |
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| tasya hikkākarō rōgaḥ sadyō muṣṇāti jīvitam||6|| | | tasya hikkākarō rōgaḥ sadyō muṣṇāti jīvitam||6|| |
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| kṣīṇaśōṇitamāṁsasya vāyurūrdhvagatiścaran| | | kṣīṇaśōṇitamāṁsasya vāyurūrdhvagatiścaran| |
| + | |
| ubhē manyē samē yasya sadyō muṣṇāti jīvitam||7|| | | ubhē manyē samē yasya sadyō muṣṇāti jīvitam||7|| |
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| antarēṇa gudaṁ gacchan nābhiṁ ca sahasā'nilaḥ| | | antarēṇa gudaṁ gacchan nābhiṁ ca sahasā'nilaḥ| |
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| kr̥śasya vaṅkṣaṇau gr̥hṇan sadyō muṣṇāti jīvitam||8|| | | kr̥śasya vaṅkṣaṇau gr̥hṇan sadyō muṣṇāti jīvitam||8|| |
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| vitatya parśukāgrāṇi gr̥hītvōraśca mārutaḥ| | | vitatya parśukāgrāṇi gr̥hītvōraśca mārutaḥ| |
| + | |
| stimitasyāyatākṣasya sadyō muṣṇāti jīvitam||9|| | | stimitasyāyatākṣasya sadyō muṣṇāti jīvitam||9|| |
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| hr̥dayaṁ ca gudaṁ cōbhē gr̥hītvā mārutō balī| | | hr̥dayaṁ ca gudaṁ cōbhē gr̥hītvā mārutō balī| |
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| durbalasya viśēṣēṇa sadyō muṣṇāti jīvitam||10|| | | durbalasya viśēṣēṇa sadyō muṣṇāti jīvitam||10|| |
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| vaṅkṣaṇaṁ ca gudaṁ cōbhē gr̥hītvā mārutō balī| | | vaṅkṣaṇaṁ ca gudaṁ cōbhē gr̥hītvā mārutō balī| |
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| śvāsaṁ sañjanayañjantōḥ sadyō muṣṇāti jīvitam||11|| | | śvāsaṁ sañjanayañjantōḥ sadyō muṣṇāti jīvitam||11|| |
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| nābhiṁ mūtraṁ bastiśīrṣaṁ purīṣaṁ cāpi mārutaḥ| | | nābhiṁ mūtraṁ bastiśīrṣaṁ purīṣaṁ cāpi mārutaḥ| |
| + | |
| pracchinnaṁ janayañchūlaṁ sadyō muṣṇāti jīvitam||12|| | | pracchinnaṁ janayañchūlaṁ sadyō muṣṇāti jīvitam||12|| |
| | | |
| bhidyētē vaṅkṣaṇau yasya vātaśūlaiḥ samantataḥ| | | bhidyētē vaṅkṣaṇau yasya vātaśūlaiḥ samantataḥ| |
| + | |
| bhinnaṁ purīṣaṁ tr̥ṣṇā ca sadyaḥ prāṇāñjahāti saḥ||13|| | | bhinnaṁ purīṣaṁ tr̥ṣṇā ca sadyaḥ prāṇāñjahāti saḥ||13|| |
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| āplutaṁ mārutēnēha śarīraṁ yasya kēvalam| | | āplutaṁ mārutēnēha śarīraṁ yasya kēvalam| |
| + | |
| bhinnaṁ purīṣaṁ tr̥ṣṇā ca sadyō jahyāt sa jīvitam||14|| | | bhinnaṁ purīṣaṁ tr̥ṣṇā ca sadyō jahyāt sa jīvitam||14|| |
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| śarīraṁ śōphitaṁ yasya vātāśōphēna dēhinaḥ| | | śarīraṁ śōphitaṁ yasya vātāśōphēna dēhinaḥ| |
| + | |
| bhinnaṁ purīṣaṁ tr̥ṣṇā ca sadyō jahyāt sa jīvitam||15|| | | bhinnaṁ purīṣaṁ tr̥ṣṇā ca sadyō jahyāt sa jīvitam||15|| |
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| āmāśayasamutthānā yasya syāt parikartikā| | | āmāśayasamutthānā yasya syāt parikartikā| |
| + | |
| bhinnaṁ purīṣaṁ tr̥ṣṇā ca sadyaḥ prāṇāñjahāti saḥ||16|| | | bhinnaṁ purīṣaṁ tr̥ṣṇā ca sadyaḥ prāṇāñjahāti saḥ||16|| |
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| pakvāśayasamutthānā yasya syāt parikartikā| | | pakvāśayasamutthānā yasya syāt parikartikā| |
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| tr̥ṣṇā gudagrahaścōgraḥ sadyō jahyāt sa jīvitam||17|| | | tr̥ṣṇā gudagrahaścōgraḥ sadyō jahyāt sa jīvitam||17|| |
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| pakvāśayamadhiṣṭhāya hatvā sañjñāṁ ca mārutaḥ| | | pakvāśayamadhiṣṭhāya hatvā sañjñāṁ ca mārutaḥ| |
| + | |
| kaṇṭhē ghurghurakaṁ kr̥tvā sadyō harati jīvitam||18|| | | kaṇṭhē ghurghurakaṁ kr̥tvā sadyō harati jīvitam||18|| |
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| dantāḥ kardamadigdhābhā mukhaṁ cūrṇakasannibham| | | dantāḥ kardamadigdhābhā mukhaṁ cūrṇakasannibham| |
| + | |
| siprāyantē ca gātrāṇi liṅgaṁ sadyō mariṣyataḥ||19|| | | siprāyantē ca gātrāṇi liṅgaṁ sadyō mariṣyataḥ||19|| |
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| tr̥ṣṇāśvāsaśirōrōgamōhadaurbalyakūjanaiḥ| | | tr̥ṣṇāśvāsaśirōrōgamōhadaurbalyakūjanaiḥ| |
| + | |
| spr̥ṣṭaḥ prāṇāñjahātyāśu śakr̥dbhēdēna cāturaḥ||20|| | | spr̥ṣṭaḥ prāṇāñjahātyāśu śakr̥dbhēdēna cāturaḥ||20|| |
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− | vAtAShThIlA susaMvRuddhA tiShThantI dAruNA hRudi| | + | vAtAShThIlA susaMvRuddhA tiShThantI dAruNA hRudi| |
| + | |
| tRuShNayA~abhiparItasya sadyo muShNAti jIvitam||4|| | | tRuShNayA~abhiparItasya sadyo muShNAti jIvitam||4|| |
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| piNDike shithilIkRutya jihmIkRutya ca nAsikAm| | | piNDike shithilIkRutya jihmIkRutya ca nAsikAm| |
| + | |
| vAyuH sharIre vicaran sadyo muShNAti jIvitam||5|| | | vAyuH sharIre vicaran sadyo muShNAti jIvitam||5|| |
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| bhruvau yasya cyute sthAnAdantardAhashca dAruNaH| | | bhruvau yasya cyute sthAnAdantardAhashca dAruNaH| |
| + | |
| tasya hikkAkaro rogaH sadyo muShNAti jIvitam||6|| | | tasya hikkAkaro rogaH sadyo muShNAti jIvitam||6|| |
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| kShINashoNitamAMsasya vAyurUrdhvagatishcaran| | | kShINashoNitamAMsasya vAyurUrdhvagatishcaran| |
| + | |
| ubhe manye same yasya sadyo muShNAti jIvitam||7|| | | ubhe manye same yasya sadyo muShNAti jIvitam||7|| |
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| antareNa [1] gudaM gacchan nAbhiM ca sahasA~anilaH| | | antareNa [1] gudaM gacchan nAbhiM ca sahasA~anilaH| |
| + | |
| kRushasya va~gkShaNau gRuhNan sadyo muShNAti jIvitam||8|| | | kRushasya va~gkShaNau gRuhNan sadyo muShNAti jIvitam||8|| |
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| vitatya parshukAgrANi gRuhItvorashca mArutaH| | | vitatya parshukAgrANi gRuhItvorashca mArutaH| |
| + | |
| stimitasyAyatAkShasya sadyo muShNAti jIvitam||9|| | | stimitasyAyatAkShasya sadyo muShNAti jIvitam||9|| |
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| hRudayaM ca gudaM cobhe gRuhItvA [2] mAruto balI| | | hRudayaM ca gudaM cobhe gRuhItvA [2] mAruto balI| |
| + | |
| durbalasya visheSheNa sadyo muShNAti jIvitam||10|| | | durbalasya visheSheNa sadyo muShNAti jIvitam||10|| |
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| va~gkShaNaM ca gudaM cobhe gRuhItvA mAruto balI| | | va~gkShaNaM ca gudaM cobhe gRuhItvA mAruto balI| |
| + | |
| shvAsaM sa~jjanaya~jjantoH sadyo muShNAti jIvitam||11|| | | shvAsaM sa~jjanaya~jjantoH sadyo muShNAti jIvitam||11|| |
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| nAbhiM mUtraM bastishIrShaM [3] purIShaM cApi mArutaH| | | nAbhiM mUtraM bastishIrShaM [3] purIShaM cApi mArutaH| |
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| pracchinnaM [4] janaya~jchUlaM sadyo muShNAti jIvitam||12|| | | pracchinnaM [4] janaya~jchUlaM sadyo muShNAti jIvitam||12|| |
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| bhidyete va~gkShaNau yasya vAtashUlaiH samantataH| | | bhidyete va~gkShaNau yasya vAtashUlaiH samantataH| |
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| bhinnaM purIShaM tRuShNA ca sadyaH prANA~jjahAti saH||13|| | | bhinnaM purIShaM tRuShNA ca sadyaH prANA~jjahAti saH||13|| |
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| AplutaM mAruteneha sharIraM yasya kevalam| | | AplutaM mAruteneha sharIraM yasya kevalam| |
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| bhinnaM purIShaM tRuShNA ca sadyo jahyAt sa jIvitam||14|| | | bhinnaM purIShaM tRuShNA ca sadyo jahyAt sa jIvitam||14|| |
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