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| सन्निपातज्वरस्योर्ध्वं त्रयोदशविधस्य हि| | | सन्निपातज्वरस्योर्ध्वं त्रयोदशविधस्य हि| |
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| प्राक्सूत्रितस्य वक्ष्यामि लक्षणं वै पृथक् पृथक्||९०|| | | प्राक्सूत्रितस्य वक्ष्यामि लक्षणं वै पृथक् पृथक्||९०|| |
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| भ्रमः पिपासा दाहश्च गौरवं शिरसोऽतिरुक्| | | भ्रमः पिपासा दाहश्च गौरवं शिरसोऽतिरुक्| |
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| वातपित्तोल्बणे विद्याल्लिङ्गं मन्दकफे ज्वरे||९१|| | | वातपित्तोल्बणे विद्याल्लिङ्गं मन्दकफे ज्वरे||९१|| |
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| शैत्यं कासोऽरुचिस्तन्द्रापिपासादाहरुग्व्यथाः| | | शैत्यं कासोऽरुचिस्तन्द्रापिपासादाहरुग्व्यथाः| |
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| वातश्लेष्मोल्बणे व्याधौ लिङ्गं पित्तावरे विदुः||९२|| | | वातश्लेष्मोल्बणे व्याधौ लिङ्गं पित्तावरे विदुः||९२|| |
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| छर्दिः शैत्यं मुहुर्दाहस्तृष्णा मोहोऽस्थिवेदना| | | छर्दिः शैत्यं मुहुर्दाहस्तृष्णा मोहोऽस्थिवेदना| |
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| मन्दवाते व्यवस्यन्ति लिङ्गं पित्तकफोल्बणे||९३|| | | मन्दवाते व्यवस्यन्ति लिङ्गं पित्तकफोल्बणे||९३|| |
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| सन्ध्यस्थिशिरसः शूलं प्रलापो गौरवं भ्रमः| | | सन्ध्यस्थिशिरसः शूलं प्रलापो गौरवं भ्रमः| |
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| वातोल्बणे स्याद् द्व्यनुगे तृष्णा कण्ठास्यशुष्कता||९४|| | | वातोल्बणे स्याद् द्व्यनुगे तृष्णा कण्ठास्यशुष्कता||९४|| |
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| रक्तविण्मूत्रता दाहः स्वेदस्तृड् बलसङ्क्षयः| | | रक्तविण्मूत्रता दाहः स्वेदस्तृड् बलसङ्क्षयः| |
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| मूर्च्छा चेति त्रिदोषे स्याल्लिङ्गं पित्ते गरीयसि||९५|| | | मूर्च्छा चेति त्रिदोषे स्याल्लिङ्गं पित्ते गरीयसि||९५|| |
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| आलस्यारुचिहृल्लासदाहवम्यरतिभ्रमैः| | | आलस्यारुचिहृल्लासदाहवम्यरतिभ्रमैः| |
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| कफोल्बणं सन्निपातं तन्द्राकासेन चादिशेत्||९६|| | | कफोल्बणं सन्निपातं तन्द्राकासेन चादिशेत्||९६|| |
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| प्रतिश्या छर्दिरालस्यं तन्द्राऽरुच्यग्निमार्दवम्| | | प्रतिश्या छर्दिरालस्यं तन्द्राऽरुच्यग्निमार्दवम्| |
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| हीनवाते पित्तमध्ये लिङ्गं श्लेष्माधिके मतम्||९७|| | | हीनवाते पित्तमध्ये लिङ्गं श्लेष्माधिके मतम्||९७|| |
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| हारिद्रमूत्रनेत्रत्वं दाहस्तृष्णा भ्रमोऽरुचिः| | | हारिद्रमूत्रनेत्रत्वं दाहस्तृष्णा भ्रमोऽरुचिः| |
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| हीनवाते मध्यकफे लिङ्गं पित्ताधिके मतम्||९८|| | | हीनवाते मध्यकफे लिङ्गं पित्ताधिके मतम्||९८|| |
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| शिरोरुग्वेपथुः श्वासः प्रलापश्छर्द्यरोचकौ| | | शिरोरुग्वेपथुः श्वासः प्रलापश्छर्द्यरोचकौ| |
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| हीनपित्ते मध्यकफे लिङ्गं स्यान्मारुताधिके||९९|| | | हीनपित्ते मध्यकफे लिङ्गं स्यान्मारुताधिके||९९|| |
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| शीतको गौरवं तन्द्रा प्रलापोऽस्थिशिरोऽतिरुक्| | | शीतको गौरवं तन्द्रा प्रलापोऽस्थिशिरोऽतिरुक्| |
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| हीनपित्ते वातमध्ये लिङ्गं श्लेष्माधिके विदुः||१००|| | | हीनपित्ते वातमध्ये लिङ्गं श्लेष्माधिके विदुः||१००|| |
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| श्वासः कासः प्रतिश्यायो मुखशोषोऽतिपार्श्वरुक्| | | श्वासः कासः प्रतिश्यायो मुखशोषोऽतिपार्श्वरुक्| |
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| कफहीने पित्तमध्ये लिङ्गं वाताधिके मतम्||१०१|| | | कफहीने पित्तमध्ये लिङ्गं वाताधिके मतम्||१०१|| |
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| वर्चोभेदोऽग्निदौर्बल्यं [३] तृष्णा दाहोऽरुचिर्भ्रमः| | | वर्चोभेदोऽग्निदौर्बल्यं [३] तृष्णा दाहोऽरुचिर्भ्रमः| |
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| कफहीने वातमध्ये लिङ्गं पित्ताधिके विदुः||१०२|| | | कफहीने वातमध्ये लिङ्गं पित्ताधिके विदुः||१०२|| |
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| सन्निपातज्वरस्योर्ध्वमतो वक्ष्यामि लक्षणम्| | | सन्निपातज्वरस्योर्ध्वमतो वक्ष्यामि लक्षणम्| |
| + | |
| क्षणे दाहः क्षणे शीतमस्थिसन्धिशिरोरुजा||१०३|| | | क्षणे दाहः क्षणे शीतमस्थिसन्धिशिरोरुजा||१०३|| |
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| सास्रावे कलुषे रक्ते निर्भुग्ने चापि दर्शने [४] | | | सास्रावे कलुषे रक्ते निर्भुग्ने चापि दर्शने [४] | |
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| सस्वनौ सरुजौ कर्णौ कण्ठः शूकैरिवावृतः||१०४|| | | सस्वनौ सरुजौ कर्णौ कण्ठः शूकैरिवावृतः||१०४|| |
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| तन्द्रा मोहः प्रलापश्च कासः श्वासोऽरुचिर्भ्रमः| | | तन्द्रा मोहः प्रलापश्च कासः श्वासोऽरुचिर्भ्रमः| |
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| परिदग्धा खरस्पर्शा जिह्वा स्रस्ताङ्गता परम्||१०५|| | | परिदग्धा खरस्पर्शा जिह्वा स्रस्ताङ्गता परम्||१०५|| |
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| ष्ठीवनं रक्तपित्तस्य कफेनोन्मिश्रितस्य च| | | ष्ठीवनं रक्तपित्तस्य कफेनोन्मिश्रितस्य च| |
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| शिरसो लोठनं तृष्णा निद्रानाशो हृदि व्यथा||१०६|| | | शिरसो लोठनं तृष्णा निद्रानाशो हृदि व्यथा||१०६|| |
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| स्वेदमूत्रपुरीषाणां चिराद्दर्शनमल्पशः| | | स्वेदमूत्रपुरीषाणां चिराद्दर्शनमल्पशः| |
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| कृशत्वं नातिगात्राणां प्रततं कण्ठकूजनम्||१०७|| | | कृशत्वं नातिगात्राणां प्रततं कण्ठकूजनम्||१०७|| |
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| कोठानां श्यावरक्तानां मण्डलानां च दर्शनम्| | | कोठानां श्यावरक्तानां मण्डलानां च दर्शनम्| |
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| मूकत्वं स्रोतसां पाको गुरुत्वमुदरस्य च||१०८|| | | मूकत्वं स्रोतसां पाको गुरुत्वमुदरस्य च||१०८|| |
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| sannipātajwarasyōrdhvaṁ trayōdaśavidhasya hi| | | sannipātajwarasyōrdhvaṁ trayōdaśavidhasya hi| |
| + | |
| prāksūtritasya vakṣyāmi lakṣaṇaṁ vai pr̥thak pr̥thak||90|| | | prāksūtritasya vakṣyāmi lakṣaṇaṁ vai pr̥thak pr̥thak||90|| |
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| bhramaḥ pipāsā dāhaśca gauravaṁ śirasō'tiruk| | | bhramaḥ pipāsā dāhaśca gauravaṁ śirasō'tiruk| |
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| vātapittōlbaṇē vidyālliṅgaṁ mandakaphē jvarē||91|| | | vātapittōlbaṇē vidyālliṅgaṁ mandakaphē jvarē||91|| |
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| śaityaṁ kāsō'rucistandrāpipāsādāharugvyathāḥ| | | śaityaṁ kāsō'rucistandrāpipāsādāharugvyathāḥ| |
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| vātaślēṣmōlbaṇē vyādhau liṅgaṁ pittāvarē viduḥ||92|| | | vātaślēṣmōlbaṇē vyādhau liṅgaṁ pittāvarē viduḥ||92|| |
| | | |
| chardiḥ śaityaṁ muhurdāhastr̥ṣṇā mōhō'sthivēdanā| | | chardiḥ śaityaṁ muhurdāhastr̥ṣṇā mōhō'sthivēdanā| |
| + | |
| mandavātē vyavasyanti liṅgaṁ pittakaphōlbaṇē||93|| | | mandavātē vyavasyanti liṅgaṁ pittakaphōlbaṇē||93|| |
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| sandhyasthiśirasaḥ śūlaṁ pralāpō gauravaṁ bhramaḥ| | | sandhyasthiśirasaḥ śūlaṁ pralāpō gauravaṁ bhramaḥ| |
| + | |
| vātōlbaṇē syād dvyanugē tr̥ṣṇā kaṇṭhāsyaśuṣkatā||94|| | | vātōlbaṇē syād dvyanugē tr̥ṣṇā kaṇṭhāsyaśuṣkatā||94|| |
| | | |
| raktaviṇmūtratā dāhaḥ svēdastr̥ḍ balasaṅkṣayaḥ| | | raktaviṇmūtratā dāhaḥ svēdastr̥ḍ balasaṅkṣayaḥ| |
| + | |
| mūrcchā cēti tridōṣē syālliṅgaṁ pittē garīyasi||95|| | | mūrcchā cēti tridōṣē syālliṅgaṁ pittē garīyasi||95|| |
| | | |
| ālasyārucihr̥llāsadāhavamyaratibhramaiḥ| | | ālasyārucihr̥llāsadāhavamyaratibhramaiḥ| |
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| kaphōlbaṇaṁ sannipātaṁ tandrākāsēna cādiśēt||96|| | | kaphōlbaṇaṁ sannipātaṁ tandrākāsēna cādiśēt||96|| |
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| pratiśyā chardirālasyaṁ tandrā'rucyagnimārdavam| | | pratiśyā chardirālasyaṁ tandrā'rucyagnimārdavam| |
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| hīnavātē pittamadhyē liṅgaṁ ślēṣmādhikē matam||97|| | | hīnavātē pittamadhyē liṅgaṁ ślēṣmādhikē matam||97|| |
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| hāridramūtranētratvaṁ dāhastr̥ṣṇā bhramō'ruciḥ| | | hāridramūtranētratvaṁ dāhastr̥ṣṇā bhramō'ruciḥ| |
| + | |
| hīnavātē madhyakaphē liṅgaṁ pittādhikē matam||98|| | | hīnavātē madhyakaphē liṅgaṁ pittādhikē matam||98|| |
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| śirōrugvēpathuḥ śvāsaḥ pralāpaśchardyarōcakau| | | śirōrugvēpathuḥ śvāsaḥ pralāpaśchardyarōcakau| |
| + | |
| hīnapittē madhyakaphē liṅgaṁ syānmārutādhikē||99|| | | hīnapittē madhyakaphē liṅgaṁ syānmārutādhikē||99|| |
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| śītakō gauravaṁ tandrā pralāpō'sthiśirō'tiruk| | | śītakō gauravaṁ tandrā pralāpō'sthiśirō'tiruk| |
| + | |
| hīnapittē vātamadhyē liṅgaṁ ślēṣmādhikē viduḥ||100|| | | hīnapittē vātamadhyē liṅgaṁ ślēṣmādhikē viduḥ||100|| |
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− | śvāsaḥ kāsaḥ pratiśyāyō mukhaśōṣō'tipārśvaruk| | + | śvāsaḥ kāsaḥ pratiśyāyō mukhaśōṣō'tipārśvaruk| |
| + | |
| kaphahīnē pittamadhyē liṅgaṁ vātādhikē matam||101|| | | kaphahīnē pittamadhyē liṅgaṁ vātādhikē matam||101|| |
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| varcōbhēdō'gnidaurbalyaṁ tr̥ṣṇā dāhō'rucirbhramaḥ| | | varcōbhēdō'gnidaurbalyaṁ tr̥ṣṇā dāhō'rucirbhramaḥ| |
| + | |
| kaphahīnē vātamadhyē liṅgaṁ pittādhikē viduḥ||102|| | | kaphahīnē vātamadhyē liṅgaṁ pittādhikē viduḥ||102|| |
| | | |
| sannipātajwarasyōrdhvamatō vakṣyāmi lakṣaṇam| | | sannipātajwarasyōrdhvamatō vakṣyāmi lakṣaṇam| |
| + | |
| kṣaṇē dāhaḥ kṣaṇē śītamasthisandhiśirōrujā||103|| | | kṣaṇē dāhaḥ kṣaṇē śītamasthisandhiśirōrujā||103|| |
| | | |
| sāsrāvē kaluṣē raktē nirbhugnē cāpi darśanē | | | sāsrāvē kaluṣē raktē nirbhugnē cāpi darśanē | |
| + | |
| sasvanau sarujau karṇau kaṇṭhaḥ śūkairivāvr̥taḥ||104|| | | sasvanau sarujau karṇau kaṇṭhaḥ śūkairivāvr̥taḥ||104|| |
| | | |
| tandrā mōhaḥ pralāpaśca kāsaḥ śvāsō'rucirbhramaḥ| | | tandrā mōhaḥ pralāpaśca kāsaḥ śvāsō'rucirbhramaḥ| |
| + | |
| paridagdhā kharasparśā jihvā srastāṅgatā param||105|| | | paridagdhā kharasparśā jihvā srastāṅgatā param||105|| |
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| ṣṭhīvanaṁ raktapittasya kaphēnōnmiśritasya ca| | | ṣṭhīvanaṁ raktapittasya kaphēnōnmiśritasya ca| |
| + | |
| śirasō lōṭhanaṁ tr̥ṣṇā nidrānāśō hr̥di vyathā||106|| | | śirasō lōṭhanaṁ tr̥ṣṇā nidrānāśō hr̥di vyathā||106|| |
| | | |
| svēdamūtrapurīṣāṇāṁ cirāddarśanamalpaśaḥ| | | svēdamūtrapurīṣāṇāṁ cirāddarśanamalpaśaḥ| |
| + | |
| kr̥śatvaṁ nātigātrāṇāṁ pratataṁ kaṇṭhakūjanam||107|| | | kr̥śatvaṁ nātigātrāṇāṁ pratataṁ kaṇṭhakūjanam||107|| |
| | | |
| kōṭhānāṁ śyāvaraktānāṁ maṇḍalānāṁ ca darśanam| | | kōṭhānāṁ śyāvaraktānāṁ maṇḍalānāṁ ca darśanam| |
| + | |
| mūkatvaṁ srōtasāṁ pākō gurutvamudarasya ca||108|| | | mūkatvaṁ srōtasāṁ pākō gurutvamudarasya ca||108|| |
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| sannipAtajwarasyordhvaM trayodashavidhasya hi| | | sannipAtajwarasyordhvaM trayodashavidhasya hi| |
| + | |
| prAksUtritasya vakShyAmi lakShaNaM vai pRuthak pRuthak||90|| | | prAksUtritasya vakShyAmi lakShaNaM vai pRuthak pRuthak||90|| |
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| bhramaH pipAsA dAhashca gauravaM shiraso~atiruk| | | bhramaH pipAsA dAhashca gauravaM shiraso~atiruk| |
| + | |
| vAtapittolbaNe vidyAlli~ggaM mandakaphe jvare||91|| | | vAtapittolbaNe vidyAlli~ggaM mandakaphe jvare||91|| |
| | | |
| shaityaM kAso~arucistandrApipAsAdAharugvyathAH| | | shaityaM kAso~arucistandrApipAsAdAharugvyathAH| |
| + | |
| vAtashleShmolbaNe vyAdhau li~ggaM pittAvare viduH||92|| | | vAtashleShmolbaNe vyAdhau li~ggaM pittAvare viduH||92|| |
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| chardiH shaityaM muhurdAhastRuShNA moho~asthivedanA| | | chardiH shaityaM muhurdAhastRuShNA moho~asthivedanA| |
| + | |
| mandavAte vyavasyanti li~ggaM pittakapholbaNe||93|| | | mandavAte vyavasyanti li~ggaM pittakapholbaNe||93|| |
| | | |
| sandhyasthishirasaH shUlaM pralApo gauravaM bhramaH| | | sandhyasthishirasaH shUlaM pralApo gauravaM bhramaH| |
| + | |
| vAtolbaNe syAd dvyanuge tRuShNA kaNThAsyashuShkatA||94|| | | vAtolbaNe syAd dvyanuge tRuShNA kaNThAsyashuShkatA||94|| |
| | | |
| raktaviNmUtratA dAhaH svedastRuD balasa~gkShayaH| | | raktaviNmUtratA dAhaH svedastRuD balasa~gkShayaH| |
| + | |
| mUrcchA ceti tridoShe syAlli~ggaM pitte garIyasi||95|| | | mUrcchA ceti tridoShe syAlli~ggaM pitte garIyasi||95|| |
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| AlasyArucihRullAsadAhavamyaratibhramaiH| | | AlasyArucihRullAsadAhavamyaratibhramaiH| |
| + | |
| kapholbaNaM sannipAtaM tandrAkAsena cAdishet||96|| | | kapholbaNaM sannipAtaM tandrAkAsena cAdishet||96|| |
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| pratishyA chardirAlasyaM tandrA~arucyagnimArdavam| | | pratishyA chardirAlasyaM tandrA~arucyagnimArdavam| |
| + | |
| hInavAte pittamadhye li~ggaM shleShmAdhike matam||97|| | | hInavAte pittamadhye li~ggaM shleShmAdhike matam||97|| |
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| hAridramUtranetratvaM dAhastRuShNA bhramo~aruciH| | | hAridramUtranetratvaM dAhastRuShNA bhramo~aruciH| |
| + | |
| hInavAte madhyakaphe li~ggaM pittAdhike matam||98|| | | hInavAte madhyakaphe li~ggaM pittAdhike matam||98|| |
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| shirorugvepathuH shvAsaH pralApashchardyarocakau| | | shirorugvepathuH shvAsaH pralApashchardyarocakau| |
| + | |
| hInapitte madhyakaphe li~ggaM syAnmArutAdhike||99|| | | hInapitte madhyakaphe li~ggaM syAnmArutAdhike||99|| |
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| shItako gauravaM tandrA pralApo~asthishiro~atiruk| | | shItako gauravaM tandrA pralApo~asthishiro~atiruk| |
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| hInapitte vAtamadhye li~ggaM shleShmAdhike viduH||100|| | | hInapitte vAtamadhye li~ggaM shleShmAdhike viduH||100|| |
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| shvAsaH kAsaH pratishyAyo mukhashoSho~atipArshvaruk| | | shvAsaH kAsaH pratishyAyo mukhashoSho~atipArshvaruk| |
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| kaphahIne pittamadhye li~ggaM vAtAdhike matam||101|| | | kaphahIne pittamadhye li~ggaM vAtAdhike matam||101|| |
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| varcobhedo~agnidaurbalyaM tRuShNA dAho~arucirbhramaH| | | varcobhedo~agnidaurbalyaM tRuShNA dAho~arucirbhramaH| |
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| kaphahIne vAtamadhye li~ggaM pittAdhike viduH||102|| | | kaphahIne vAtamadhye li~ggaM pittAdhike viduH||102|| |
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| sannipAtajwarasyordhvamato vakShyAmi lakShaNam| | | sannipAtajwarasyordhvamato vakShyAmi lakShaNam| |
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| kShaNe dAhaH kShaNe shItamasthisandhishirorujA||103|| | | kShaNe dAhaH kShaNe shItamasthisandhishirorujA||103|| |
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| sAsrAve kaluShe rakte nirbhugne cApi darshane | | | sAsrAve kaluShe rakte nirbhugne cApi darshane | |
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| sasvanau sarujau karNau kaNThaH shUkairivAvRutaH||104|| | | sasvanau sarujau karNau kaNThaH shUkairivAvRutaH||104|| |
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| tandrA mohaH pralApashca kAsaH shvAso~arucirbhramaH| | | tandrA mohaH pralApashca kAsaH shvAso~arucirbhramaH| |
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| paridagdhA kharasparshA jihvA srastA~ggatA param||105|| | | paridagdhA kharasparshA jihvA srastA~ggatA param||105|| |
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| ShThIvanaM raktapittasya kaphenonmishritasya ca| | | ShThIvanaM raktapittasya kaphenonmishritasya ca| |
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| shiraso loThanaM tRuShNA nidrAnAsho hRudi vyathA||106|| | | shiraso loThanaM tRuShNA nidrAnAsho hRudi vyathA||106|| |
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| svedamUtrapurIShANAM cirAddarshanamalpashaH| | | svedamUtrapurIShANAM cirAddarshanamalpashaH| |
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| kRushatvaM nAtigAtrANAM pratataM kaNThakUjanam||107|| | | kRushatvaM nAtigAtrANAM pratataM kaNThakUjanam||107|| |
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| koThAnAM shyAvaraktAnAM maNDalAnAM ca darshanam| | | koThAnAM shyAvaraktAnAM maNDalAnAM ca darshanam| |
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| mUkatvaM srotasAM pAko gurutvamudarasya ca||108|| | | mUkatvaM srotasAM pAko gurutvamudarasya ca||108|| |
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