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| हेतुभिर्लक्षणैश्चोक्तः पूर्वमष्टविधो ज्वरः| | | हेतुभिर्लक्षणैश्चोक्तः पूर्वमष्टविधो ज्वरः| |
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| समासेनोपदिष्टस्य व्यासतः शृणु लक्षणम्||८४|| | | समासेनोपदिष्टस्य व्यासतः शृणु लक्षणम्||८४|| |
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| शिरोरुक् पर्वणां भेदो दाहो रोम्णां प्रहर्षणम्| | | शिरोरुक् पर्वणां भेदो दाहो रोम्णां प्रहर्षणम्| |
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| कण्ठास्यशोषो वमथुस्तृष्णा मूर्च्छा भ्रमोऽरुचिः||८५|| | | कण्ठास्यशोषो वमथुस्तृष्णा मूर्च्छा भ्रमोऽरुचिः||८५|| |
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| स्वप्ननाशोऽतिवाग्जृम्भा वातपित्तज्वराकृतिः| | | स्वप्ननाशोऽतिवाग्जृम्भा वातपित्तज्वराकृतिः| |
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| शीतको गौरवं तन्द्रा स्तैमित्यं पर्वणां च रुक्||८६|| | | शीतको गौरवं तन्द्रा स्तैमित्यं पर्वणां च रुक्||८६|| |
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| शिरोग्रहः प्रतिश्यायः कासः स्वेदाप्रवर्तनम्| | | शिरोग्रहः प्रतिश्यायः कासः स्वेदाप्रवर्तनम्| |
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| सन्तापो मध्यवेगश्च वातश्लेष्मज्वराकृतिः||८७|| | | सन्तापो मध्यवेगश्च वातश्लेष्मज्वराकृतिः||८७|| |
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| मुहुर्दाहो मुहुः शीतं स्वेदस्तम्भो मुहुर्मुहुः| | | मुहुर्दाहो मुहुः शीतं स्वेदस्तम्भो मुहुर्मुहुः| |
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| मोहः कासोऽरुचिस्तृष्णा श्लेष्मपित्तप्रवर्तनम्||८८|| | | मोहः कासोऽरुचिस्तृष्णा श्लेष्मपित्तप्रवर्तनम्||८८|| |
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| लिप्ततिक्तास्यता तन्द्रा श्लेष्मपित्तज्वराकृतिः| | | लिप्ततिक्तास्यता तन्द्रा श्लेष्मपित्तज्वराकृतिः| |
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| इत्येते द्वन्द्वजाः प्रोक्ताः ...|८९| | | इत्येते द्वन्द्वजाः प्रोक्ताः ...|८९| |
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| hētubhirlakṣaṇaiścōktaḥ pūrvamaṣṭavidhō jwaraḥ| | | hētubhirlakṣaṇaiścōktaḥ pūrvamaṣṭavidhō jwaraḥ| |
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| samāsēnōpadiṣṭasya vyāsataḥ śr̥ṇu lakṣaṇam||84|| | | samāsēnōpadiṣṭasya vyāsataḥ śr̥ṇu lakṣaṇam||84|| |
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| śirōruk [1] parvaṇāṁ bhēdō dāhō rōmṇāṁ praharṣaṇam| | | śirōruk [1] parvaṇāṁ bhēdō dāhō rōmṇāṁ praharṣaṇam| |
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| kaṇṭhāsyaśōṣō vamathustr̥ṣṇā mūrcchā bhramō'ruciḥ||85|| | | kaṇṭhāsyaśōṣō vamathustr̥ṣṇā mūrcchā bhramō'ruciḥ||85|| |
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| svapnanāśō'tivāgjr̥mbhā vātapittajvarākr̥tiḥ| | | svapnanāśō'tivāgjr̥mbhā vātapittajvarākr̥tiḥ| |
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| śītakō gauravaṁ tandrā staimityaṁ parvaṇāṁ ca ruk||86|| | | śītakō gauravaṁ tandrā staimityaṁ parvaṇāṁ ca ruk||86|| |
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| śirōgrahaḥ pratiśyāyaḥ kāsaḥ svēdāpravartanam| | | śirōgrahaḥ pratiśyāyaḥ kāsaḥ svēdāpravartanam| |
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| santāpō madhyavēgaśca vātaślēṣmajvarākr̥tiḥ||87|| | | santāpō madhyavēgaśca vātaślēṣmajvarākr̥tiḥ||87|| |
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| muhurdāhō muhuḥ śītaṁ svēdastambhō [2] muhurmuhuḥ| | | muhurdāhō muhuḥ śītaṁ svēdastambhō [2] muhurmuhuḥ| |
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| mōhaḥ kāsō'rucistr̥ṣṇā ślēṣmapittapravartanam||88|| | | mōhaḥ kāsō'rucistr̥ṣṇā ślēṣmapittapravartanam||88|| |
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| liptatiktāsyatā tandrā ślēṣmapittajvarākr̥tiḥ| | | liptatiktāsyatā tandrā ślēṣmapittajvarākr̥tiḥ| |
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| ityētē dvandvajāḥ prōktāḥ ...|89| | | ityētē dvandvajāḥ prōktāḥ ...|89| |
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| hetubhirlakShaNaishcoktaH pUrvamaShTavidho jwaraH| | | hetubhirlakShaNaishcoktaH pUrvamaShTavidho jwaraH| |
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| samAsenopadiShTasya vyAsataH shRuNu lakShaNam||84|| | | samAsenopadiShTasya vyAsataH shRuNu lakShaNam||84|| |
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| shiroruk parvaNAM bhedo dAho romNAM praharShaNam| | | shiroruk parvaNAM bhedo dAho romNAM praharShaNam| |
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| kaNThAsyashoSho vamathustRuShNA mUrcchA bhramo~aruciH||85|| | | kaNThAsyashoSho vamathustRuShNA mUrcchA bhramo~aruciH||85|| |
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| svapnanAsho~ativAgjRumbhA vAtapittajwarakRutiH| | | svapnanAsho~ativAgjRumbhA vAtapittajwarakRutiH| |
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| shItako gauravaM tandrA staimityaM parvaNAM ca ruk||86|| | | shItako gauravaM tandrA staimityaM parvaNAM ca ruk||86|| |
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| shirograhaH pratishyAyaH kAsaH svedApravartanam| | | shirograhaH pratishyAyaH kAsaH svedApravartanam| |
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| santApo madhyavegashca vAtashleShmajwarakRutiH||87|| | | santApo madhyavegashca vAtashleShmajwarakRutiH||87|| |
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| muhurdAho muhuH shItaM svedastambho muhurmuhuH| | | muhurdAho muhuH shItaM svedastambho muhurmuhuH| |
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| mohaH kAso~arucistRuShNA shleShmapittapravartanam||88|| | | mohaH kAso~arucistRuShNA shleShmapittapravartanam||88|| |
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| liptatiktAsyatA tandrA shleShmapittajwarakRutiH| | | liptatiktAsyatA tandrA shleShmapittajwarakRutiH| |
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| ityete dvandvajAH proktAH ...|89| | | ityete dvandvajAH proktAH ...|89| |
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