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| पित्तलस्याचितं पित्तं यथोक्तैः स्वैः प्रकोपणैः| | | पित्तलस्याचितं पित्तं यथोक्तैः स्वैः प्रकोपणैः| |
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| दूषयित्वा तु रक्तादीन् पाण्डुरोगाय कल्पते||१९|| | | दूषयित्वा तु रक्तादीन् पाण्डुरोगाय कल्पते||१९|| |
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| स पीतो हरिताभो वा ज्वरदाहसमन्वितः| | | स पीतो हरिताभो वा ज्वरदाहसमन्वितः| |
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| तृष्णामूर्च्छापिपासार्तः [१] पीतमूत्रशकृन्नरः||२०|| | | तृष्णामूर्च्छापिपासार्तः [१] पीतमूत्रशकृन्नरः||२०|| |
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| स्वेदनः शीतकामश्च न चान्नमभिनन्दति| | | स्वेदनः शीतकामश्च न चान्नमभिनन्दति| |
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| कटुकास्यो न चास्योष्णमुपशेतेऽम्लमेव च||२१|| | | कटुकास्यो न चास्योष्णमुपशेतेऽम्लमेव च||२१|| |
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| उद्गारोऽम्लो विदाहश्च विदग्धेऽन्नेऽस्य जायते| | | उद्गारोऽम्लो विदाहश्च विदग्धेऽन्नेऽस्य जायते| |
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| दौर्गन्ध्यं भिन्नवर्चस्त्वं दौर्बल्यं तम एव च||२२|| | | दौर्गन्ध्यं भिन्नवर्चस्त्वं दौर्बल्यं तम एव च||२२|| |
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| Pittalasyācitaṁ Pittaṁ yathōktaiḥ svaiḥ prakōpaṇaiḥ| | | Pittalasyācitaṁ Pittaṁ yathōktaiḥ svaiḥ prakōpaṇaiḥ| |
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| dūṣayitvā tu raktādīn pāṇḍurōgāya kalpatē||19|| | | dūṣayitvā tu raktādīn pāṇḍurōgāya kalpatē||19|| |
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| sa pītō haritābhō vā jvaradāhasamanvitaḥ| | | sa pītō haritābhō vā jvaradāhasamanvitaḥ| |
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| tr̥ṣṇāmūrcchāpipāsārtaḥ [1] pītamūtraśakr̥nnaraḥ||20|| | | tr̥ṣṇāmūrcchāpipāsārtaḥ [1] pītamūtraśakr̥nnaraḥ||20|| |
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| svēdanaḥ śītakāmaśca na cānnamabhinandati| | | svēdanaḥ śītakāmaśca na cānnamabhinandati| |
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| kaṭukāsyō na cāsyōṣṇamupaśētē'mlamēva ca||21|| | | kaṭukāsyō na cāsyōṣṇamupaśētē'mlamēva ca||21|| |
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| udgārō'mlō vidāhaśca vidagdhē'nnē'sya jāyatē| | | udgārō'mlō vidāhaśca vidagdhē'nnē'sya jāyatē| |
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| daurgandhyaṁ bhinnavarcastvaṁ daurbalyaṁ tama ēva ca||22|| | | daurgandhyaṁ bhinnavarcastvaṁ daurbalyaṁ tama ēva ca||22|| |
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| pittalasyAcitaM pittaM yathoktaiH svaiH prakopaNaiH| | | pittalasyAcitaM pittaM yathoktaiH svaiH prakopaNaiH| |
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| dUShayitvA tu raktAdIn pANDurogAya kalpate||19|| | | dUShayitvA tu raktAdIn pANDurogAya kalpate||19|| |
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| sa pIto haritAbho vA jvaradAhasamanvitaH| | | sa pIto haritAbho vA jvaradAhasamanvitaH| |
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| tRuShNAmUrcchApipAsArtaH [1] pItamUtrashakRunnaraH||20|| | | tRuShNAmUrcchApipAsArtaH [1] pItamUtrashakRunnaraH||20|| |
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| svedanaH shItakAmashca na cAnnamabhinandati| | | svedanaH shItakAmashca na cAnnamabhinandati| |
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| kaTukAsyo na cAsyoShNamupashete~amlameva ca||21|| | | kaTukAsyo na cAsyoShNamupashete~amlameva ca||21|| |
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| udgAro~amlo vidAhashca vidagdhe~anne~asya jAyate| | | udgAro~amlo vidAhashca vidagdhe~anne~asya jAyate| |
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| daurgandhyaM bhinnavarcastvaM daurbalyaM tama eva ca||22|| | | daurgandhyaM bhinnavarcastvaM daurbalyaM tama eva ca||22|| |
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