Line 957: |
Line 957: |
| | | |
| अतऊर्ध्वंवृष्यतमान्स्नेहान्वक्ष्यामः| | | अतऊर्ध्वंवृष्यतमान्स्नेहान्वक्ष्यामः| |
| + | |
| शतावरीगुडूचीक्षुविदार्यामलकद्राक्षाखर्जूराणांयन्त्रपीडितानांरसप्रस्थंपृथगेकैकंतद्वद्घृततैलगोमहिष्यजाक्षीराणांद्वौद्वौदद्यात्, | | शतावरीगुडूचीक्षुविदार्यामलकद्राक्षाखर्जूराणांयन्त्रपीडितानांरसप्रस्थंपृथगेकैकंतद्वद्घृततैलगोमहिष्यजाक्षीराणांद्वौद्वौदद्यात्, |
| + | |
| जीवकर्षभकमेदामहामेदात्वक्क्षीरीशृङ्गाटकमधूलिकामधुकोच्चटा पिप्पलीपुष्करबीज | | जीवकर्षभकमेदामहामेदात्वक्क्षीरीशृङ्गाटकमधूलिकामधुकोच्चटा पिप्पलीपुष्करबीज |
− | नीलोत्पलकदम्बपुष्प-पुण्डरीककेशरकल्कान्पृषततरक्षुमांसकुक्कुटचटकचकोरमत्ताक्षबर्हिजीवञ्जीवकुलिङ्गहंसाण्डरसवसामज्जादेश्चप्रस्थंदत्त्वासाधयेत्| | + | |
− | ब्रह्मघोषशङ्खपटहभेरीनिनादैःसिद्धंसितच्छत्रकृतच्छायंगजस्कन्धमारोपयेद्भगवन्तंवृषध्वजमभिपूज्य,तंस्नेहंत्रिभागमाक्षिकंमङ्गलाशीःस्तुतिदेवतार्चनैर्बस्तिंगमयेत्| | + | नीलोत्पलकदम्बपुष्प-पुण्डरीककेशरकल्कान्पृषततरक्षुमांसकुक्कुटचटकचकोरमत्ताक्ष- |
| + | |
| + | बर्हिजीवञ्जीवकुलिङ्गहंसाण्डरसवसामज्जादेश्चप्रस्थंदत्त्वासाधयेत्| |
| + | |
| + | ब्रह्मघोषशङ्खपटहभेरीनिनादैःसिद्धंसितच्छत्रकृतच्छायंगजस्कन्धमारोपयेद्भगवन्तंवृषध्वजमभिपूज्य, |
| + | |
| + | तंस्नेहंत्रिभागमाक्षिकंमङ्गलाशीःस्तुतिदेवतार्चनैर्बस्तिंगमयेत्| |
| + | |
| नृणांस्त्रीविहारिणांनष्टरेतसांक्षतक्षीणविषमज्वरार्तानांव्यापन्नयोनीनांवन्ध्यानांरक्तगुल्मिनीनां[१] | | नृणांस्त्रीविहारिणांनष्टरेतसांक्षतक्षीणविषमज्वरार्तानांव्यापन्नयोनीनांवन्ध्यानांरक्तगुल्मिनीनां[१] |
| + | |
| मृतापत्यानामनार्तवानांचस्त्रीणांक्षीणमांसरुधिराणांपथ्यतमंरसायनमुत्तमंवलीपलितनाशनंविद्यात्(१)|१९| | | मृतापत्यानामनार्तवानांचस्त्रीणांक्षीणमांसरुधिराणांपथ्यतमंरसायनमुत्तमंवलीपलितनाशनंविद्यात्(१)|१९| |
| <div class="mw-collapsible-content"> | | <div class="mw-collapsible-content"> |