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| रोहिणीकटुकानिम्बमधुकत्रिफलात्वचः| | | रोहिणीकटुकानिम्बमधुकत्रिफलात्वचः| |
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| कर्षांशास्त्रायमाणा च पटोलत्रिवृतोः पले||११५|| | | कर्षांशास्त्रायमाणा च पटोलत्रिवृतोः पले||११५|| |
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| द्वे पले च मसूराणां साध्यमष्टगुणेऽम्भसि| | | द्वे पले च मसूराणां साध्यमष्टगुणेऽम्भसि| |
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| शृताच्छेषं घृतसमं सर्पिषश्च चतुष्पलम्||११६|| | | शृताच्छेषं घृतसमं सर्पिषश्च चतुष्पलम्||११६|| |
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| पिबेत् सम्मूर्च्छितं तेन गुल्मः शाम्यति पैत्तिकः| | | पिबेत् सम्मूर्च्छितं तेन गुल्मः शाम्यति पैत्तिकः| |
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| ज्वरस्तृष्णा च शूलं च भ्रमो मूर्च्छाऽरुचिस्तथा||११७|| | | ज्वरस्तृष्णा च शूलं च भ्रमो मूर्च्छाऽरुचिस्तथा||११७|| |
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| rōhiṇīkaṭukānimbamadhukatriphalātvacaḥ| | | rōhiṇīkaṭukānimbamadhukatriphalātvacaḥ| |
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| karṣāṁśāstrāyamāṇā ca paṭōlatrivr̥tōḥ palē||115|| | | karṣāṁśāstrāyamāṇā ca paṭōlatrivr̥tōḥ palē||115|| |
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| dvē palē ca masūrāṇāṁ sādhyamaṣṭaguṇē'mbhasi| | | dvē palē ca masūrāṇāṁ sādhyamaṣṭaguṇē'mbhasi| |
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| śr̥tācchēṣaṁ ghr̥tasamaṁ sarpiṣaśca catuṣpalam||116|| | | śr̥tācchēṣaṁ ghr̥tasamaṁ sarpiṣaśca catuṣpalam||116|| |
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| pibēt sammūrcchitaṁ tēna gulmaḥ śāmyati paittikaḥ| | | pibēt sammūrcchitaṁ tēna gulmaḥ śāmyati paittikaḥ| |
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| jvarastr̥ṣṇā ca śūlaṁ ca bhramō mūrcchā'rucistathā||117|| | | jvarastr̥ṣṇā ca śūlaṁ ca bhramō mūrcchā'rucistathā||117|| |
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| rohiNIkaTukAnimbamadhukatriphalAtvacaH| | | rohiNIkaTukAnimbamadhukatriphalAtvacaH| |
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| karShAMshAstrAyamANA ca paTolatrivRutoH pale||115|| | | karShAMshAstrAyamANA ca paTolatrivRutoH pale||115|| |
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| dve pale ca masUrANAM sAdhyamaShTaguNe~ambhasi| | | dve pale ca masUrANAM sAdhyamaShTaguNe~ambhasi| |
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| shRutAccheShaM ghRutasamaM sarpiShashca catuShpalam||116|| | | shRutAccheShaM ghRutasamaM sarpiShashca catuShpalam||116|| |
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| pibet sammUrcchitaM tena gulmaH shAmyati paittikaH| | | pibet sammUrcchitaM tena gulmaH shAmyati paittikaH| |
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| jvarastRuShNA ca shUlaM ca bhramo mUrcchA~arucistathA||117|| | | jvarastRuShNA ca shUlaM ca bhramo mUrcchA~arucistathA||117|| |
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